Book Title: Ghar ko Kaise Swarg Banaye
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

Previous | Next

Page 37
________________ जैसी संस्थाओं के जरिये भी आप अपनी सेवाएँ, जरूरतमंद लोगों तक पहुँचा सकते हैं। हम छात्र-छात्राओं के लिए प्रतिवर्ष आधे लागत मूल्य पर कॉपीरजिस्टर उपलब्ध करवाते हैं, गरीबों और ज़रूरतमंद लोगों को हार्ट, किडनी, कैंसर, डायलासिस कवाने के लिए दवाइयों में 40 प्रतिशत की राहत दिलवाते हैं। मार्ग कोई भी अपनाया जा सकता है, जो आपके समझ में आए। इंसानियत की सेवा को मैं तो ईश्वर की ही सेवा मानता हूँ। प्रेम को जीने का अंतिम चरण है : उस प्रभु से प्रेम करो जो सबका पालनहार है। सबका मालिक एक। जो सबका मालिक है, उसे सदा याद रखो, दिल में बसाकर रखो। गीता की घोषणा है : योग-क्षेमं वहाम्यहम्। वह हमारे समस्त कुशल-क्षेम का संवाहक है। ईश्वर से अगर प्रेम करना है तो प्राणीमात्र से प्रेम करो, किसी की हिंसा मत करो-अहिंसा परमो धर्मः । लिव एंड लेट लिव-खुद भी सुख से जिओ और दूसरों को भी जीने का अधिकार दो। न केवल अधिकार दो, अपितु उनकी मदद भी करो। यही धर्म है, यही सारसंदेश है। 36 | Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146