Book Title: Gautam Charitra
Author(s): Dharmchandra Mandalacharya, Lalaram Shastri
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia

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Page 11
________________ गौतमचरित्र। ऐसे वे भगवान सिद्धपरमेष्ठी हम लोगोंके समस्त कार्योंकी सिद्धि करें ॥ २॥ जो जिनेंद्रदेव महावीरस्वामी महाधीर, वीर और मोक्ष प्रदान करनेवाले हैं तथा महावीर, वर्द्धमान, वीर, सन्मति आदि जिनके नाम हैं, ऐसे जिनराज श्रीमहावीरस्वामीको मैं नमस्कार करता हूं ॥ ३ ॥ जो भगवान् महावीरस्वामी इच्छानुसार फल प्रदान करनेवाले हैं, मोहरूपी महायोद्धाको जीतनेवाले हैं और मुक्तिरूपी मुन्दरीके स्वामी हैं ऐसे वे भगवान् हमें सद्बुद्धि देवें ॥ ४॥ जो भव्य रूपी कमलोंको प्रफुल्लित करनेवाली है और संसारके समस्त पदार्थों को दिखानेवाली है ऐसी भगवान् जिनेन्द्रदेवसे प्रगट होनेवाली सरस्वतीदेवी सूर्यकी प्रभाके समान संसारके समस्त जीवोंका अज्ञानांधकार दूर करो ॥५॥ श्री सर्वज्ञदेवके मुखसे उत्पन्न होनेवाली जो सरस्वतीदेवी सरस कामधेनुके समान सेवकोंका सदा हित करनेवाली है, वह श्री सरस्वतीदेवी हम लोगोंके इच्छानुसार कार्योकी सिद्धि करो ॥६॥ जो सज्जनोत्तम मुनिराज सद्धर्मरूपी अमृतके समूहमे तृप्त रहते हैं और जो परोपकार करनेमें सदा तत्पर रहते हैं ऐसे मुनिराज मुझपर सम्यक्त्वादिगुणोपेता नित्या लोकाग्रवासिनः ॥२॥ महावीरं महाधीर वईमानं जिनेश्वरम् । वीरं निर्वाणदातारं वंदे श्रीसन्मतिं जिनम् ॥३॥ क्रियान्मे सन्मतिं वीर ! ईहितार्थप्रदायकः । मोहसुभटमज्जेता मुक्तिमीमं तिनीवरः ॥४॥ भव्यांभोजविकासंती विश्वपदार्थदर्शिका । तमो हरतु लोकानां रविमेव सरस्वती ॥५॥ देयान्मद्वांच्छितां सिद्धिं श्रीसर्वज्ञमुखोद्भवा । सरसा कामधेनुर्वा सेवकहितकारिका ॥ ६ ॥

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