Book Title: Gautam Charitra
Author(s): Dharmchandra Mandalacharya, Lalaram Shastri
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia

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Page 9
________________ ७८ 4. ૯૮ ९० ૧૦૪ ૧૦૮ ૧૧ ૧૧૨ ११६ ૧૨૪ ૧૨૯ १३७ ३४० १५३ 36 " "9 १५४ १५६ १५९ 64 " ૧૬૨ ૧૭ ૧ ૧૧૧ १९३ ૧૬૦ २०१ ૨૦૨ 9 A २० ૧૭ ૨૧ ५ ૨૧ २३ १५ ૧૭ ૧૨ ૧૩ ૧૮ २३ ૧૬ ܕ ૧૬ ૧૮ ६ 2 ~ 25 2 १५ ૧૭ १५ (<) संसार में अघ करने के क्रियाि कपं नमसी ओंका शयिकः पदार्थै दुःस्वनिकरभाजकाः सत्येय देवेषु तेषां पुद्गल " द्वीद्रिये चललने में र्वाधौ न राच घर्मणां नेमिपार्खा तरेऽतिम कालमें वथिता घर्मांतं पाकि उच्छ्रवासः सामग्नी गणाधिपो Nam संसारके • अद्य करनेके लिये क्रियर्द्धि कंप नभसी ओंसे शायिक: पदार्थों दुःखनिकरभाजकाः *3111 द्वीन्द्रिये चलनेमें वा नाराच असंप्राप्तास्रपाटिक धर्मणां नेमिपाखतिरेऽतिमः कालोंमें कथिता धर्मांत उच्छ्वासः सामग्री गणाधिपो

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