Book Title: Gautam Charitra
Author(s): Dharmchandra Mandalacharya, Lalaram Shastri
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia

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Page 7
________________ ३४. पंच महाव्रतोंका वर्णन ३५. तपश्चरणकी महिमा ३६. देवका स्वरूप व उसकी पूजाका महत्व ... ३७: गुरुका स्वरूप... ३८. जिनवाणीका स्वरूप ३९. सम्यग्दर्शनकी महिमा ४०. मिथ्यादर्शनका स्वरूप व उसका फल ४.१. पात्रदानादिका फळ ४२. रात्रिभोजन त्यागकी आवश्यकता ४३. गौतमस्वामीका तपश्चरण ... ४४. गौतमस्वामीको केवलज्ञान-प्राप्ति ... ... "" ( ६ ) ... ... ५१. स्त्रात नरक व उनमें लेश्यादिका ५२. देवगतिका वर्णन ... पंचम अधिकार । .... "" ... ५३. गौतमस्वामीको मोक्षप्राप्ति ५४. गौतमस्वामीके पूर्वभवोंका संक्षिप्त वर्णम . ५५५ ५६. ग्रन्थकारका परिचय ⠀⠀⠀⠀⠀⠀⠀⠀⠀⠀⠀ ... ... ४५. गौतमगणधरकी वार्णी खिरना ४६, जीवादि सप्त तत्त्वोंका वर्णन ४७. अष्टकर्म व उनके भेदप्रभेद ४८० कर्मों की स्थिति व कर्मबंधके विशेष कारण ४९. भोगभूमिका स्वरूप, कुलकर, तीर्थङ्गर, चक्रवर्ती, नारायण, प्रतिनारायण, बलभद्र, रुद्र, नारद, कामदेव आदिकी उत्पत्ति, समय, जन्मस्थान, आयु व षट् काल आदिका विशेष वर्णन ५०. पांचवे (वर्तमान) दुःखमकालका वर्णन ... •** ... cab ... co का गुणगान व ग्रन्थकारकी लघुता 800 : ... ... ... ... ... ... :::: ... ... ... 77. १२१ १३१ " १३४ १३५ " १३८ ૧૪૦ १४४ १४५ १४५. ૧૪૯ " १५७ १६० १६५ ૧૮૨ १८७ १८९ १९६ १९९ " २०२

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