Book Title: Doha Giti Kosa
Author(s): Sarahpad, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
Publisher: Prakrit Text Society Ahmedabad

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Page 77
________________ हि स दिट्ठि णिअ चित्तउँ तें अ- मणु सच्चें णिअ-मणे मुणों णिअ-सहावु गअण णिअ-सहावु णउ णिउणु विआरु णिज्जिअ - सासो रुि सुर णिखर बाणु णिम्मल - सहजा णिव्वाणें ठिउ तउ हलें सहजानंदु तत्त-रहिअ काआ ण तरुअर-‍ - मूल तसु कहिँ किज्जइ तसु चाहतें तसु परिआण तह बेहिँ-वि रहिउ तह - विण तुट्टइ हिँ पुणु किंपिण तहिँ वढ चित्त १३१.२ ६८.२ १३५.२ ४५.२ १०५.२ २१.२ २३.२ ९२.२ तिवँ धुअ-तत्त १४९.२ तिवँ सो मंडल - चक्कडा ११५.२ तुस कुट्टंतें ५०.२ तहिँ सो-वि देइ तं चिंतामणि ताव सु अक्खर तावँ हँ समरस १३.१ ३६.२ ३२.१ ८५.२ ११२.१ ८७.१ १४८-२ १२९.१ १३०.१ १५२.१ ४१.१ १२४.१ २६.२ ७.६ Jain Education International ५५.२ १४६.२ ३३.२ १२.१ 60 तेल-खिच्चडइ दंडि - त्रिदंडि दीह णक्ख जइ देखाइ रवि देखउ सुणउ देव पुजिज्जइ देसु भवँइ अब्भासें देहा सरिसुतित्थु दोस - गुणाअरु दोहा - संग अहं इँ इँ धेउ ण धारण पक्ख - विहूणउ पढमे जइ आआस पत्तु मुसारिउ पवणु धरिअ अप्पाणु पसु - घरें चोर हरंतु पंच काम-गुण पंजरें जिवँ पंडिअ सअल तत्त पाणि वहंतें पासें पासु भवंता पिअ - दंसणे पिच्छी-गहणे बज्झइ कम्मेण बज्झति जेण जडा बद्ध अ बद्धउ गच्छइ दस बंधु ण दीस For Private & Personal Use Only १५९.१ २.२ ६.१. १३७.२ ५९.१ ६८.१ ६६.२ ९३.२ ७४.२ १०६.१ ७०.१ १४३.१ ७०.२. २९.१ ३७.१ ९०.१ १२२.२ १४२.१ १२०.१ ७१.१ १९.१ १५५.२ ५४.२ ७.३ २०.१ ८८. २ ८३.१ ८९.१ १५०.१ www.jainelibrary.org

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