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Dr. Charlotte Krause : Her Life & Literature
कम्मकरु विणय-परु जोडि कर वीनवउं
देहि मे दंसणं अलजया अभिनवं ।। 20 ।। इय भुवन-भूषण दलिय-डूषण सव्व-लक्खण-मंडणो
मद-मान-गंजण मोह-भंजण वाम-काम-विहंडणो । सुरराय-रंजण नाण-दंसण-चरण-गुण-जय-नायको
जिण-नाह भवि-भवि तात भव मे बोधि बीजह दायको ।। 21 ।।
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