Book Title: Charlotte Krause her Life and Literature
Author(s): Shreeprakash Pandey
Publisher: Parshwanath Vidyapith

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Page 659
________________ [C] जर्मन जैन श्राविका डॉ. सुभद्रादेवी रास* - उपाध्याय मंगलविजय जी ।। दूहा ।। सिंहावलोक न्याये करी, कहुं दत्तचित्त अवधार । यूरोपदेशीय मन धरी, कहुं किंचित् अधिकार ॥ १ ॥ दृष्टि अभ्यासक मन करी, केईक करे त्यां अभ्यास । आचारे नहीं जैनता खरी, विचारक जैन केई खास ॥ २ ॥ पक्षपात मीशनरी घणों, स्कॉलर मां नहीं गंध । मध्यस्थ भाव स्कॉलर तणो, मीशनरी ते धर्मांध ॥ ३ ॥ केई सरल स्वभावी घणां, यॉकोबी, हर्टेल, थोमस । बीजपण विद्वान् तणा, नाम उपलक्षे सुवास ॥ ४ ॥ हर्टेल-शिस्या । ओ खरी, जर्मनीमां सुप्रसिद्ध । अभ्यासक दृष्टि धरी, अभ्यास तिकां बहु किद्ध ॥ ५ ॥ अभिधा जेहनी जाणे सह, 'क्रौज़े' पी-एच. डी. धार ।। सर चालॉटे अवर बहु, यूरीपीयन नाम सार ॥ ६ ॥ ।। ढाल-देसी ।। विलोकया शास्त्र अनेक दर्शननां, यूरापमां बहु बार रे । सहायक संस्कृत प्रोफेसरनां, टाइटल लॅपजिग अवधार रे ॥ १ ॥ जमर्नदेश मां स्त्रीओने पदवी, हेवी बहु थोड़ी विचार रे । बुद्धि-चालाकी अ श्रम त्यजावी, प्रसिद्ध करावी ते वार रे ॥ २ ॥ मारवाडी पुरातन भाषा मां, नासकेतरी कथा निबंध रे । अनुवाद कोश अने टिप्पणमां, निपुणता जाणो प्रबंध रे ।। ३ ।। पी-एच. डी. पदवी ते निबंधे, मेलवी सुखकर संबंधे रे । भाषा यूरोपनी सघली ते धंधे, वाक् चातुरीना प्रबंध रे ॥ ४ ।। * "धर्म जीवन प्रदीप' वि० सं० १९८४ में प्रकाशित, संकलन श्री यशोविजय जैन ग्रन्थमाला, भावनगर । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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