Book Title: Charlotte Krause her Life and Literature
Author(s): Shreeprakash Pandey
Publisher: Parshwanath Vidyapith

Previous | Next

Page 667
________________ 622 Dr. Charlotte Krause : Her Life & Literature बालप्रिया सात्त्विकभावनिष्ठा शैलौटवर्मा वर वर्णिनी सा । जिनेन्द्र-भक्ता स्तुति-मन्त्र-दक्षा आराधभक्त्या हत-कल्मषाऽऽसीत् ।। ६ ।। सुश्री डॉ. क्राउज़े बच्चों से बहुत प्रेम करती थीं। वे सात्त्विक भावों वाली थीं और श्रेष्ठ व्रतधारक थीं। वे जिनेश्वरदेव की भक्त थीं। वे स्तुतिपरक मन्त्रों के पाठ में दक्ष थीं। अपने आराध्य की भक्ति से उनके पाप नष्ट हो गए थे ॥ ६ ॥ बाल्येऽपि या सत्त्वगुणोदयेन विरक्तभावा शुभकर्मनिष्ठा । प्राच्ये प्रतीच्ये विविधे सुशास्त्रे अवाप दाक्ष्यं प्रतिभा-प्रभावात् ।। ७ ।। बचपन से ही उनमें सात्त्विक गुण उदय हो गए थे, अत: वे संसार से विरक्त-सी और शुभ कर्मों में तत्पर रहती थीं। भारतीय और पाश्चात्य शास्त्रों में उन्होंने अपनी प्रतिभा से विशेष योग्यता प्राप्त कर ली थी ॥ ७ ॥ भाषासु बह्वीषु विदग्धतां सा लेभे सती स्वीय परिश्रमेण । अध्यैष्ट सा गुर्जर-राजभाषां तथाऽऽर्यभाषां महताश्रमेण ।। ८ ।। डॉ. क्राउज़े ने अपने परिश्रम से अनेक भाषाओं में विशेष योग्यता प्राप्त की थी। उन्होंने बड़े परिश्रम से गुजराती और हिन्दी भाषाएँ सीखीं थीं ।। ८ ॥ सम्प्राप्य सा भारतवर्षमेतद् जिनेश्वरे भक्तिमती बभूव । आदर्शभूता निजभक्तिभावे __ गौरीव साक्षाद् विरराज विज्ञा ॥ ९ ॥ डॉ. क्राउज़े भारतवर्ष में आकर जिनेश्वरदेव की भक्त हो गईं। वे अपनी भक्ति-भावना में आदर्श थीं। वे विदुषी क्राउज़े साक्षात् पार्वती जी की तरह सुशोभित होती थीं ॥ ९ ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 665 666 667 668 669 670 671 672 673 674