Book Title: Charcha Sagar
Author(s): Champalal Pandit
Publisher: Bharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad

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Page 16
________________ ४०८ बळ संख्या पर्चा पृष्ठ संख्याबळ संख्या पृष्ठ संख्या १९१ यदि रजस्वला स्त्रीके पास मालक हो तो उसके स्पर्शा- | कुलकरोंको मनु कहते है सो कुलकर और मनुको निरुक्ति स्पर्शको शद्धि किस प्रकार दै ३९८ १५२ यदि रजस्वला रोगिणी हो, अशक्त हो तो उसको २०२ मिथ्यात्व आदि चौदहों गुणस्थानों में कौन कौन संहनन स्नानादिक किस प्रकार करना चाहिये होते हैं। ३७९ १९३ नब अनुदिशोंके नाम क्या हैं ३६.. | २०३ समवशरणमें जो अशोक, चंपक, आम्र, सप्तच्छद जातिके १९४ जिन देवोंको आयु सागरोंकी है उनका आहार उतने वृक्ष हैं सो सप्तच्छद कौनसा वृक्ष है। हजार वर्ष बाद और श्वासोच्छवास उतने ही पक्ष बाद २०४ पंच नमस्कार मन्त्र अनेक महिमामोंसे भरा है सो इसके होता है परन्तु जिनकी आयु पल्योंकी है उनके आहार अक्षरोंको रचनाका स्वरूप क्या है इसमें कौन-कौन देव हैं और श्वासोच्छवासका क्या नियम है किस धातुम बना है उनका क्या अर्थ है क्या फल है। ३८१ १९५ क्या तीसरे नरकसे निकले हुए जीव तीर्थकर हो २०५ तीर्थंकर आदि पदवीधर पुरुषों पर जो चमर हुलाये जाते सकते हैं ३७१ है उनका प्रमाण क्या है १९६ मनुष्य किस किस गतिसे आकर हो सकता है तथा २०६ स्वयंभूरमण द्वोप और समुद्रके पशुपक्षियोंकी आयु उत्कृष्ट किस किस गतिसे नहीं होता होती है परन्तु यहाँके पशुपक्षियोंको कितनो है ४०९ १९७ अन्यमतके तमसो परिव्राजक आदि जो कुतप करते हैं । । २०७ कोई कोई लोग कहते हैं कि मांस भक्षणमें कोई पाप नहीं वे मरकर ऊपर स्वर्गमें कहाँ तक जा सकते हैं। ३७३ है क्योंकि जिस प्रकार अन्न प्राणियों का शरीर है उसी १९८ क्या एफेन्द्रियसे लेकर पंचेन्द्रिय तकके सब जीव तोनों प्रकार मांस भी प्राणियोंका शरीर है, मांस खाने में एक लाकमें भरे हैं जीवको हिसासे अनेक जीवोंका पेट भर जाता है और पहले लिखा है कि देवोंके केश उत्पन्न नहीं होते सो केशों अन्न खान्से अनेक जीवोंसे एक मनुष्यका पेट भरता है में ऐसा क्या दोष है इसलिए मांस भक्षणका निषेध करना ठीक नहीं है। क्या बिना केशोंके देवोंका मुंह बुरा मालूम होता है ३७६ इसका समाधान २०० आश्रमों में रहने वाले स्यागी गृहस्योंके बालकों को पांच वेद आदि शास्त्रों में लिखी हुई हिंसाका निषेध उदंबर और मद्य, मांस, शहदका त्याग करा देते हैं परन्तु श्रावके लिये को हुई हिंसाका निषेध कितने ही अनाचारी किसी रोगमें वैद्योंके कहनेसे औषधि क्षत्रियों का धर्म मांस खाना शिकार खेलना नहीं है में शहद खा लेते हैं सो क्या ठोक है। ३७६ परमतके ग्रन्थोंसे मास्का निषेध ४१९ शहदके बदले क्या लेना चाहिये। आयु पूर्ण हुए बिना जीव मरता हो नहीं इसका समाधान ४३५ । २०१ कोई कोई लोग ऋषभदेव तीर्थकरको तथा भरत चक्र यह जीव पंच तत्वोंसे बना है इससे हिंसा अहिंसा कोई वर्तीको भी कुलकर कहते हैं सो क्या यह ठीक है ३७८ चीज नहीं है इसका समाधान M १३

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