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अध्याय
३
विषय-सूची विषय
पृष्ठ भूमिका... ... ... ... ... १-८ सम्पादन शास्त्र की परिभाषा-प्राचीन रचनाएं-हस्तलिखित प्रतियां-भारत में लेखन-कला की प्राचीनता-प्राचीन प्रतियों के अभाव के कारण -साहित्य का लेखन-साहित्य की दो श्रेणियां, समष्टि और व्यक्ति-रचित साहित्यपुस्तक प्रचार और इस के कारण-पुस्तक रक्षासामग्री... ...
... ८-२२ मूल सामग्री-मूल प्रति-प्रथम प्रति-प्रतिलिपि-प्रतियों की विशेषताएं, सामग्री, पंक्तियां, शब्द विग्रह, विराम-चिह्न, संकेत, पत्र-गणना--लिपिकार प्रतियों का शोधन-सहायक-सामग्री-उद्धरण-सुभाषित-संग्रह-भाषांतरटीका, टिप्पणी, भाष्य, वृत्ति आदि-सार ग्रंथ -अनुकरण-ग्रंथ -समान पाठ ग्रंथकार के अन्यग्रंथप्रतियों का मिलान
... २२-३३ विश्वसनीयता-लिपिकाल-लिपिकाल-निर्धारण-शुद्ध सम्बन्ध-संकीर्ण सम्बन्ध-पंचतत्र की संकीर्ण धाराएं-प्रतियों की संख्या आदि
प्रतियों में दोष और उनके कारण... ... ३३-४४ दोष, बाह्य और प्रांतरिक-लिपिभ्रम -शब्द-भ्रम-लोप-आगम-अभ्यासव्यत्यय-समानार्थ शब्दांतरन्यास--हाशिए के शब्दों आदि का मूल पाठ में समावेश-वाक्य के शब्दों के प्रभाव से विचार-विभ्रम--ध्वनि-भाषा की अनियमितता-भाषाव्यत्यय--प्रलेप, परिवर्तन, आधिक्यपुनर्निर्माण... ...
४४-५१ पुनर्निर्माण--इस की विधि--काल्पनिक आदर्शों और मूलादर्श का पुनर्निर्माण
इस के कुछ नियम-विषयानुसंगति-लेखानुसंगति-स्वीकृति --संदेह-त्याग-सुधार ६ पाठ-सुधार... ... ... ... ५१-५६
सुधार की आवश्यकता--विधि-प्राचीन और नवीन पद्धतियां-संदिग्ध पाठ-लिष्ट-कल्पना और सुधार महाभारत में सुधार-व्यक्ति रचित साहित्य
में सुधार-बीच का मार्गपरिशिष्ट १-प्रतियों के मिलान की रीणि
२-प्राचीन लेखन-सामग्री ३-सूची-साहित्य
६७-७०
Aho I Shrutgyanam