Book Title: Bharatiya Sampadan Shastra
Author(s): Mulraj Jain
Publisher: Jain Vidya Bhavan

View full book text
Previous | Next

Page 50
________________ ( ३७ ) उदाहरण-महावीर वरित २ ६ । १० अभिचरंनि, E प्रति में अचरंति है ; (२, १३ । १४) महादोसो, B, प्रति में महादासो है । चित्रसेनपावती-चरित्र" (५४८) संजमंमि य गारियं' Z 'य' का लोप है । इसी को Z प्रति में श्लो० ३८३ छूट गया है। (ख) अक्षा, शब्द आदि की समानता सेअक्षर-समानता के कारण दो समान अक्षरों में से एक छूट जाता है । उदाहरण-महाभारत आदि (१०३, १३) 'अभ्यसूययाम्', K D,DIA_5 में 'अभ्यसूयाम्' है। महावीरचरित (२,७१ =) 'लोललोअयो', I में 'लोल अयो' ; ( ३, १८ । १९ ) पाषण्डकाण्डीर, B, में पाखण्डीर ; ( ३, १६ । २०) प्रसवपांसन, E में प्रसवासन । शब्द-समानता के कारण लिपिकार को आंख किसो शब्द से उस के समानरूप वाले अन्य शब्द पर जा टिकतो है जो उस से परे हो । इस से बीच के शब्द छुट जाते है। यह साधारण दोष है। उदाहरण-निरुक्त' में 'सोर्देवानसृजत तत्सुराणां सुरत्वम् । श्रसोरसुरानसृजत सदसुराणाम् .........' को लिबते समय C, प्रति के लिपिकार की आंख प्रथम अमृजत से आगे वाले अमृजन पर पहुंच गई । परिणामस्वरूप 'तत्सुराणां सुरत्वम् । असोर-सुरान्' छूट गया । (६, २२) स्थूरं राव: शताश्वं कुरंगस्प दिविष्टिषु । (RV. VIII. 4. 19) स्थूरः समात्रितमात्रो महान्भवति' को लिखते समय C, प्रति के लिपेकार की दृष्टि स्थूरं' से तल्लमान 'त्थूरः' पर जा पड़ो और मध्यस्थित 'राध: शताश्वं कुरंगस्य दिविष्टिषु' का लोर हो गया। (४) आगम मात्रा, अक्षर, शब्द आदि के बढ़ जाने का आगम कहते हैं। उदाहरण-महावीर चरित ( १, २ ) ' महापुरुषसंरम्भो' B, में 'महापुरुषसमारम्भो' है। (५) अभ्यासकिसी अक्षर, शब्दांश, शब्द वाक्य आदि के दुहराए जाने को अभ्यास कहते हैं। १. लेखक द्वारा संपादित । २. डा. लक्ष्मण स्वरूप संपादि। । भूमि का पृ० ४० । Aho ! Shrutgyanam

Loading...

Page Navigation
1 ... 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85