Book Title: Bharatiya Rajniti Jain Puran Sahitya Sandarbh Me
Author(s): Madhu Smitashreeji
Publisher: Durgadevi Nahta Charity Trust
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(३) ८. आदिपुराण (महापुराण) :
महापुराण जिनसेन और गुणभद्र कृत उस विशाल ग्रंथ का नाम है जो ७६ वर्षों में विभक्त है। ४७ वर्ष तक की रचना का नाम आदि पुराण, ४८ से ७६ तक की रचना का नाम उत्तर पुराण है। इसमें कुल मिलाकर १९२०७ श्लोक हैं । उनमें से आदि पुराण में ११४२६ श्लोक हैं
और उत्तर पुराण में ७७७८.' आदि पुराण की रचना हवीं शताब्दी में हुई थी।
___जिनसेन ने अपने इस ग्रंथ में तिरेसठ शलाका पुरुषों के चरित्रों को ब्रहत्प्रमाण में लिखने की प्रतिज्ञा की थी लेकिन अत्यन्त वृद्धावस्था के कारण वे केवल आदि पुराण के ४२ पर्व तथा ४३वें पर्व के तीन पद्य अर्थात् १०३८० श्लोक प्रमाण लिखकर स्वर्गवासी हो गये। इसके उपरान्त इसके प्रमुख शिष्य “गुणभद्र” ने शेष कृति को अपेक्षाकृत संक्षेप में पूर्ण किया। .. आदि पुराण में प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव के दश पूर्व भवों का वर्णन, वर्तमान मत का तथा भरत चक्रवर्ती के चरित्र का विस्तार से वर्णन किया गया है। इसके अन्तर्गत प्रथम राजा ऋषभदेव के राज्याभिषेक का वहंत ही विस्तार से वर्णन किया गया है कि किस प्रकार इन्द्र ने आकर भगवान का राज्याभिषेक किया था। प्रजा की दण्डनीय स्थिति का भी वर्णन किया गया है । आदिपुराण के सोलहवें वर्ष में भरतादि सन्तानोत्पत्ति, प्रजा के लिए असि, मसि, कृषि, वाणिज्य सेवा और शिल्प इन छ: आजीविकाओं का प्रतिपालन तथा क्षत्रिय, वैश्य, शद्ध इन तीन वर्णी की स्थापना का वर्णन है । छब्बीस से लेकर अड़तीसवें. तक १३ पर्यों में भरत चक्रवर्ती की चक्ररत्न-प्राप्ति से लेकर दिग्विजय तथा नगर प्रवेश से पूर्व भरत बाहुबलि युद्ध तथा भरत द्वारा ब्राह्मण वर्ग की स्थापना का वर्णन किया गया है। आदि पुराण के विस्तृत कलेवर में हम पुराण, महाकाव्य, धर्मकथा, राजनीति-शास्त्र, आचार-शास्त्र और युग की आदि व्याख्या को सूचित करने वाले एक बृहद इतिहास के दर्शन करते हैं।
१. वही पृ० ५५. २. जैन साहित्य का बृहद् इतिहास, भाग ६, पृ० ५६. ३. वही पृ० ५७.