Book Title: Bharatiya Rajniti Jain Puran Sahitya Sandarbh Me
Author(s): Madhu Smitashreeji
Publisher: Durgadevi Nahta Charity Trust
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(६६) गये । इस अवसर पर नादों से शिखरों को गुजाते हुए शंख बजने लगे मेघ के समान मृदंग बजने लगे, दु'दुभि और ढोलों की ध्वनि गूजने लगी। चारण, भाट और ब्राह्मण आशीर्वाद देने लगे। इस प्रकार महोत्सव के साथ अजितस्वामी की आज्ञा से कल्याणकारी पूर्वोक्त अधिकारियों ने विधिपूर्वक सगर राजा का राज्याभिषेक किया। (अभिषेक का वर्णन पूर्वानुसार जान लेना चाहिए।) इस अवसर पर नगर के मुख्य पुरुष हाथों में उत्तम भेंट लेकर सगर राजा के पास आए, और उनके सम्मुख रखकर प्रणाम किया ।
सनत्कमार चक्रवती के राज्याभिषेक के अवसर पर उन्हें हार. वनमाल, छत्र, मुकुट, पादुकायुग्म और पादपीठ भेंट किये गये थे।
ज्ञाताधर्मकथांग में मेघकुकमार के राज्याभिषेक का बहुत ही अच्छा वर्णन आता है। हालांकि मेघकुमार संसार त्याग कर दीक्षा ग्रहण करने वाला था, परन्तु माता-पिता की आज्ञा से एक दिन के लिए राज-सम्पदा का उपभोग करने के लिए तैयार हुआ था । अनेक गणनायक, दण्डनायक आदि से परिवृत हो, उन्हें, सोने, चाँदी, मणि, मुक्ता आदि के आठ-आठ सौ कलशों में सुगंधित जल भरकर उन्हें स्नान कराया था। सभी प्रकार की मृत्तिका से, पुष्प, गंध, माल्य, औषधि और सरसों से उन्हें परिपूर्ण करके सर्वसमृद्धि, द्यु ति तथा सर्व सैन्य के साथ दुदुभि के निर्धोष की प्रतिध्वनि के शब्दों के साथ उच्चकोटि के राज्याभिषेक से अभिषक्त किया।
राज्याभिषेक हो जाने के पश्चात् समस्त प्रजा राजा को बधाई देने के लिए आती है।
चम्पा, मथुरा, वाराणसी, श्रीवात्ती, साकेत, कापिल्य, कौशाम्बी, मिथिला, हस्तिनापुर और राजगृह इन नगरियों को अभिषेक राजधानी कहा गया है । जैन मान्यतानुसार प्रायः राज्याभिषेक के समय कैदियों को १. त्रिषष्ठि शलाका पुरुष चरित्रः हेमचन्द्र विरचित, अनु० श्री कृष्णलाल वर्मा,
बम्बई : मानद मंत्री श्री ज्ञान समिति, पर्व २, ३/१६३-१७७, पृ० ६०६-६११. २. उत्तराध्ययन टीका अ० ८. ३. जाताधर्मकयांग : सम्पा० पं० शोभाचन्द भारिल्ल, अहमदनगर, जैन धार्मिक परीक्षा
बोर्ड, पाथर्डी, १९६४, पृ० ७५.