Book Title: Bharatiya Rajniti Jain Puran Sahitya Sandarbh Me
Author(s): Madhu Smitashreeji
Publisher: Durgadevi Nahta Charity Trust
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(११३) (II) मंत्रियों को नियुक्ति :
जैन पौराणिक ग्रंथों के अनुसार मंत्री पद वंश परम्परागत भी होता था और चुनाव परीक्षा के अनुसार भी होता था। हिन्दू ग्रंथों में बताया गया है कि जिस प्रकार राजा का पद वंशानुगत होता था उसी प्रकार मंत्रियों की नियुक्ती भी इसी सिद्धान्त के अनुसार होती थी। राजा के अन्य व्यक्तियों के साथ मंत्रियों की नियुक्ति करना भी उसका एक महत्वपूर्ण कर्तव्य होता था। जैन मान्यतानुसार राजा मंत्रियों की नियुक्ति के लिए स्वतंत्र होता था। लेकिन मंत्रियों की नियुक्ति के पूर्व राजा मंत्रियों की परीक्षा भी लेता था। जो परीक्षा में उत्तीर्ण हो जाता था उसे ही मंत्री बनाया जाता था। त्रिषष्टि शलाका पुरुष चरित्र में उल्लेख है कि राजा श्रेणिक ने अभय कुमार को महामंत्री बनाने से पूर्व परीक्षा ली थी। ज्ञाताधर्मकथा में भी अभय कुमार मंत्री का उल्लेख है। लेकिन उसकी नियुक्ति किस प्रकार हुई इसका कुछ उल्लेख नहीं किया है ।
. राजा श्रेणिक के पास चार सौ निन्यानवे (४६६) बहुत कुशल, बुद्धिशाली मंत्री थे। लेकिन वह पाँच सौ मंत्री पूरे करना चाहते थे । वह एक ऐसे पुरुष की खोज में थे जो उत्कृष्ट बुद्धिशाली हो तथा चार सौ निन्यानवे मंत्रियों के ऊपर महामंत्री स्थापित हो सके। इसलिए राजा श्रोणिक ने बुद्धिमान मनुष्य की परीक्षा के लिए एक सूखे कुएं में अपनी अंगठी फेंक दी और सारे नगर में ढिंढोरा पिटवाया कि जो कुएं के ऊपर खड़ा होकर यह अँगूठी बाहर निकालेगा वही कुशल बुद्धिवाला पुरुष मेरे चार सौ निन्यानवे मंत्रियों का मुख्य मंत्री होगा। इसके साथ ही उन्होंने यह शर्त भी रखी थी कि जो अँगूठी निकालेगा उसे अपनी बहिन की पुत्री तथा आधे राज्य की लक्ष्मी दूंगा। यह सुनकर लोग कहने लगे कि यह कार्य तो हमसे नहीं होगा। यह कार्य तो आकाश में से तारों को खींचने के समान है। अर्थात् जो आकाश में से तारे खींच सकता है वही यह कार्य कर सकता है। इतने में ही अभयकुमार हँसता हुआ वहां आया, और बोला, . यह अंगूठी क्यों नहीं ली जा सकती, इसमें मुश्किल क्या है । उसे देख सभी
१. साताधर्मकांगसूत्र अ० १८. २. त्रि. श. पु० च० पर्व १०, १० १०६ --...