Book Title: Bharatiya Rajniti Jain Puran Sahitya Sandarbh Me
Author(s): Madhu Smitashreeji
Publisher: Durgadevi Nahta Charity Trust

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Page 220
________________ उपसंहार एवं निष्कर्ष पुराण साहित्य भारतीय संस्कृति का अजस्र स्रोत है। पुराण साहित्य वैदिक और जैन वाङमय में समान रूप से उपलब्ध है । इतिहास पुराणाभ्यां वेदं समुपबृह्यत्" की प्रेरणा से जहां वैदिक परम्परा में अष्टादश पुराणों तथा अनेक उप-पुराणों की रचना हुई, उसी प्रकार जैन परम्परा में भी चौबीस तीर्थकर, बारह चक्रवर्ती, नौ वासुदेव, नौ प्रति वासुदेव, और नौ बलदेव, इस प्रकार कुल मिलाकर तिरेसठ महापुरुषों के जीवनचरित्र को आधार बनाकर अनेक पुराण लिखे गये हैं। इन तिरेसठ महापुरुषों को “शलाका पुरुष" भी कहा गया है । मैंने इस शोध-प्रबन्ध में प्रमुख जैन पुराणों में निहित राजनीति का अवलोकन किया है। प्रथम अध्याय : “भारत में प्राचीन राजनीति-शास्त्र की अध्ययन परम्परा" इसके अन्तर्गत भारत में प्राचीन राजनीति शास्त्र की अध्ययन परम्परा की समीक्षा की गयी है। इसमें राज्यशास्त्र के स्वरूप पर तथा सर्वप्रथम राज्य की उत्पत्ति कहाँ, कैसे हुई, और उसके कितने प्रकार थे ? राज्य का ध्येय एवं कार्य क्या होने चाहिए ? आदि प्रश्नों के विषय में भारतीय राजनीतिज्ञों के क्या विचार थे, उसका संक्षिप्त विवेचन किया गया है। द्वितीय अध्याय : “जैन पुराण साहित्य का परिचय" इसके अन्तर्गत प्रथम बताया गया है कि "पुराण' किसे कहते हैं ? पुराण तथा महापुराण में क्या अन्तर है । इसके साथ यह भी बताया गया है कि हिन्दू-पुराण तथा जैन पुराणों में क्या अन्तर है । जैन पुराणों का रचनाकाल एवं भाषा आदि का दिग्दर्शन भी किया गया है । इसके अलावा

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