Book Title: Bharatiya Rajniti Jain Puran Sahitya Sandarbh Me
Author(s): Madhu Smitashreeji
Publisher: Durgadevi Nahta Charity Trust
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( १४३ ) को मंत्रियों ने नहीं बल्कि देवताओं ने आकर उत्तम प्रकार के युद्ध करने के लिए कहा था। इस प्रकार देवताओं की बात स्वीकार कर दोनों भाई अहिंसात्मक युद्ध करने को तत्पर हुए ।
___ आवश्यक नियुक्ति में दृष्टि युद्ध, बाहु सुद्ध, मुष्टि युद्ध और दण्ड युद्ध का उल्लेख है। आवश्यक चर्णी में दृष्टि, बाहु और मुष्टि युद्ध का उल्लेख है । पउम चरिय में दृष्टि-युद्ध, जल युद्ध और मल्ल युद्ध का वर्णन है। महापुराण में दृष्टि युद्ध, वाहु युद्ध और जल युद्ध का वर्णन है ।' चउप्पन्न महापुरुष चरिय में दृष्टि युद्ध, बाहु युद्ध और वाक् युद्ध का उल्लेख मिलता है। त्रिषष्टि शलाका पुरुष चरित में दृष्टि, वाणी, बाहु और दण्डाविक युद्ध का उल्लेख है ।
सर्व प्रथम दोनों के मध्य दृष्टि युद्ध प्रारम्भ हुआ। इस समय दोनों वीर लाल नेत्रों से आमने-सामने खड़े हुए एक-दूसरे का मुंह देखते रहे। अंत में सूरज की किरणों से आक्रांत नील कमल की तरह, ऋषभस्वामी के बड़े पुत्र भरत की आँखें बंद हो गई। देवताओं ने उस समय बाहुबलि पर फूल बरसाये । इस प्रकार दृष्टि युद्ध में बाहुबलि की विजय हुई।
इस युद्ध के पश्चात् वाणी युद्ध का प्रारम्भ हुआ। सर्व प्रथम भरत ने सिंहनाद किया, वह सिंहनाद चारों तरफ आकाश में व्याप्त हो गया। इसके पश्चात् बाहबलि ने सिंहनाद किया। बाहबलि के सिंहनाद को सुनकर भरत ने फिर से सिंहनाद किया। जिसे सुनकर देवताओं की स्त्रियां हरिणी की तरह भयभीत हो गई। इस प्रकार भरत और बाहुबलि ने क्रमशः सिंहनाद किया। भरत के सिंहनाद की आवाज कम होती गई। इस प्रकार वाक युद्ध में भी बाहुबलि की विजय हुई ।
१. त्रि० श० पु० च० पृ० ४०६-४०७ २. मा० नि० पृ० ७४ ३. आ० चू० पृ० २१० ४. पउम चरिय पृ० ६७-७१ ५. महा पुराण पृ० २०४.२०५ ६. चउप्पन्न महापुरुषचरिय पृ० ४४-४६ ७. त्रि० श० पु० च० पृ० ४७१-४७४