Book Title: Bharatiya Rajniti Jain Puran Sahitya Sandarbh Me
Author(s): Madhu Smitashreeji
Publisher: Durgadevi Nahta Charity Trust
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की आज्ञा का पालन किया । यह देखकर राजा ने वज्रस्वामी को उसके पिता के सुपुर्द कर दिया ।'
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उपर्युक्त उदाहरणों से ज्ञात होता है कि जैन मान्यतानुसार प्राचीन समय में न्यायाधीश बहुत चतुर और होशियार होते थे । निर्णय करने से पूर्व मुकदमे के विषय में सारी जांच पड़ताल कर लेते थे पश्चात् अपना निर्णय सुनाते थे । इसके अलावा जैन ग्रन्थों के अनुसार जैन श्रमणों को भी न्यायालय अथवा राजकुल में हाज़िर ( उपस्थित) होना पड़ता था ।
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१. भा० पू० पृ० ३६१ इत्यादि ।