Book Title: Bharatiya Rajniti Jain Puran Sahitya Sandarbh Me
Author(s): Madhu Smitashreeji
Publisher: Durgadevi Nahta Charity Trust
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(१३६ ) नामक महिलाओं के उदाहरण मिलते हैं, जिनके कारण संहारकारी युद्ध लड़े गये थे । मिथिला की राजकुमारी मल्ली और कौशाम्बी की महारानी मृगावती भी युद्ध का कारण बनी। कालिकाचार्य की साध्वी भगिनी सरस्वती को उज्जयिनी के राजा गर्दभिल्ल द्वारा अपहरण करके अपने अन्तःपुर में रख लिये जाने के कारण कालिकाचार्य ने ईरान के शाहों के साथ मिलकर, गर्दभिल्ल के विरुद्ध युद्ध किया था।
एक राजा दूसरे राजा पर आक्रमण करने के लिए हमेशा तैयार रहता था। यदि किसी राजा के पास कोई बहुमूल्य वस्तु होती तो उसे प्राप्त करने के लिये अपनी सारी शक्ति लगा देता था। उज्जयिनी के राजा प्रद्योत और काँपिल्यपुर के राजा दुर्मुख के बीच एक बहमल्य दीप्तिवान मुकुट को लेकर युद्ध हुआ था। कहते हैं कि इस मुकुट में ऐसी शक्ति थी कि इसे पहनकर दुर्मुख दो मुंह वाला दिखाई देता था। राजा प्रद्योत ने इस मुकुट की माँग की। इस पर दुर्मुख ने कहा कि यदि प्रद्योत अपना नलगिरि हाथी अग्निभीरु रथ, शिवा महारानी और लोहजंग पत्रवाहक' देने को तैयार हो तो उसे मुकुट मिल सकता है । इस बात को लेकर दोनों में घमासान युद्ध हुआ जिसमें प्रद्योत की विजय हुई और दुर्मुख को बन्दी बना लिया गया।
चम्पा के राजा कूणिक और वैशाली के राजा चेटक के साथ सेचनक गंधहस्ति और अठारह लड़ी के कीमती हार को लेकर युद्ध हुआ था। इस युद्ध में विध्वंसक अस्त्र-शस्त्रों का प्रयोग भी हुआ था। धवल हस्ति को लेकर नमिराजा और चन्द्रयश राजा में युद्ध छिड़ा था। नमिराजा का हस्ति धवल खम्भा तुड़ाकर भाग गया था, चन्द्रयश ने उसे पकड़ लिया और नभिराजा के माँगने पर भी वापिस नहीं लौटाया। जवाब में चन्द्रयश ने यही कहा कि किसी के रत्नों पर नाम नहीं लिखा रहता, जो उसे बाहुबल से प्राप्त कर ले, वे उसी के हो जाते हैं।'
१. बृहत्कल्पभाष्य ६. ६३२८. २. उत्तराध्ययन टीका ६. ३. वही