Book Title: Bharatiya Rajniti Jain Puran Sahitya Sandarbh Me
Author(s): Madhu Smitashreeji
Publisher: Durgadevi Nahta Charity Trust
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।' इसके अलावा जैनेत्तर ग्रंथों में भी मत्स्य-न्याय का सुन्दर विवेचन उपलब्ध है । '
२. राज्य के प्रकार :
राज्य की उत्पत्ति के साथ ही समाज में तत्संबंधित समस्याओं का भी प्रादुर्भाव हुआ । महापुराण में समस्याओं का समाधान करने के लिए साधनों का निर्देश है : - आन्वीक्षिकी, त्रयी, वार्ता तथा दण्ड । पद्म पुराण के अनुसार एक देश नाना जनपदों से व्याप्त होता था, जिसमें पत्तन, ग्राम, संवाह, मटम्ब, पुटभेदन, घोष तथा द्रोणमुख आदि आते थे ।
प्राचीन ग्रन्थों का जब हम अध्ययन करते हैं तो राज्यों के प्रकार दृष्टिगोचर होते हैं। आचार्य कौटिल्य ने द्वौ राज्य का उल्लेख किया है । " प्राचीन भारत में " राज्य संघ " का वर्णन मिलता है । उदाहरणार्थ :यौधेय गणराज्य तीन गणराज्यों का संघ था। लिच्छवियों ने एक बार मल्लों तथा दूसरी बार विदेहों के साथ संघ बनाया था । कालिदास ने अपने ग्रन्थों में राज्य के प्रकारों का वर्णन किया है जिसका विवरण निम्न प्रकार है - राज्य, महाराज्य, अधिराज्य, द्वौ राज्य, साम्राज्य तथा सार्वभौम ( चक्रवर्ती राज्य ) " ।
१. पद्म पुराण, ३ / ७८-८८, हरिवंश पुराण, ७/१२३-१२७, ७/१४१-१५८. २. रामायण: वाल्मीकि, अयोध्याकाण्ड ६७/३१, महाभारत शान्तिपर्व १५/३०, अर्थशास्त्र १/४ पृ० १३, मनुस्मृति ७ / १७,
कामन्दकीयः नीतिसार, संशो० गणपतिशास्त्री त्रिवेन्द्रम्: महामहीम श्रीमूलक रामवर्मा कुलशेखर महाराजशासनेन, १९१२, ५/४०.
३. महा० पु० ५१/५.
४. देशो जनपदाकीर्णो विषयः सुन्दरो महान ।। पत्तनग्राम संत्राहमटम्बपुटभेदनेः घोषद्रोणमुखधैश्घ सन्निवेशेविराजितः । पद्म पु० ४१ / ५६-५७.
५. कौटिल्य अर्थशास्त्र ८/२, पृ० ५३०.
६. प्राचीन भारतीय शासन पद्धति, पृ० ३०.
19. भगवतशरण उपाध्याय; कालिदास का भारत, भाग १, काशी: भारतीय ज्ञानपीठ २८५.
१६५४, पृ०