Book Title: Bhaktamar Stotra Author(s): Hiralal Jain Publisher: Shastra Swadhya MalaPage 36
________________ (३३) लिखकर समाप्त की जिनके अनुसार विभिन्न व्यक्तियों ने भक्तामर के विभिन्न श्लोकों की आराधना से अच्छा फल प्राप्त किया। पं रायमल्ल जी ने भी कहीं पर इस बात का उल्लेख नहीं किया कि ये यन्त्र मन्त्र किस विद्वान् ने बनाये हैं। पद्यानुवाद भक्तामर स्तोत्र अन्य स्तोत्रों की अपेक्षा अधिक प्रसिद्ध है, जनता० उसे अधिक महत्व देती है, तदनुसार उसके हिन्दी भाषा में अनेक कवियों द्वारा अनेक पद्य-अनुवाद हो चुके हैं। उनमें सबसे प्रथम स्व० श्री पं० हेमराज जी ने हिन्दी भक्तामर की संस्कृत स्तोत्र के अनुरूप पद्य-रचना की है। इनके सिवाय अन्य विद्वान् विदुषियों ने भी भक्तामर की संस्कृत स्तोत्र के अनुरूप पद्य-रचना की है। टोकाएं भक्तामर स्तोत्र की विभिन्न भाषाओं में अनेक टीकाएं उपलब्ध हैं। उनमें से संस्कृत भाषा की एक टीका सर्वांग सुन्दर बतलाई जाती है। पूज्य श्री १०८ आचार्य देशभूषण जी महाराज ने जब जयपुर में चातुर्मास-योग धारण किया था उस समय उनको वहां पर एक भाई ने अपने घर विराजमान भक्तामर स्तोत्र को सटीक प्रति दिखलाई थी, वह संस्कृत टीका बहुत सुन्दर और बहुत उपयोगी है । उन भाई ने वह प्रति महाराज को थोड़ी देर दिखाकर लौटा ली, आग्रह करने पर भी फिर नहीं दी। ____ कनड़ी, मराठी, गुजराती आदि भाषाओं में भी भक्तामर स्तोत्र भाषार्थ सहित प्रकाशित हो चुका है। श्रावण शु० ५ । निवेदकवोर सं० २४८२ अजितकुमार शास्त्री दि० ११.८-१९५६ ) सम्पादक-जैन गजट, देहली-६Page Navigation
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