Book Title: Bhaktamar Stotra
Author(s): Hiralal Jain
Publisher: Shastra Swadhya Mala

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Page 133
________________ नान्यवतोषमुपयातिजनस्यचमुः। पाय भक्ति ..निर्मापितस्त्रि भुवनैक ललामभूत । । अतु ल व ल प रा क प्यायजामिश्रुतजसानिस्वरपस्पर्धिनकै श्री EE आश्रांअंत्रा सर्वराजा । राने होभी गवते. प्रसि। य बुझाए नमा भगव हएमा पती वन्तमनिमेषविलोकनीयं 24 ल्लीश्रा भी पीत्वापयः शशिकरयुतिदुग्धसिन्धोः यैः शान्तरागरुचिभिःपरमाणुभिस्त्वं | हैन मो भ ग व ते # नहीं श्रींनमोअनुदितमनुजस्वायनसमी । Fईहींअर्हएमोबोहिबुद्दीणा मा य आ दि | प्रजामोहिनीसर्वजनवश्यं । देवापरपादितानिनादकनिनादेवकैचिज्वाल तावन्तएयरवनुतेऽप्यावापृथिव्या व र य नमः नमःस्वाहा हाँक्रो और अमहामायायै सा सीमा मतिनिवारिका हां कुरु कुरु स्वाहा।। घुमुमनसुखस्तानयोधितानयुधादानं । । सा भि ष्ठा यहांहीं नमः यत्तेसमानमपनहिरुपमस्तेि १२ मारंजलंजलनिधेरसितुंकइच्छेत् ११ . .

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