Book Title: Bhaktamar Stotra
Author(s): Hiralal Jain
Publisher: Shastra Swadhya Mala

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Page 135
________________ न मनागपि मनो नविकार मार्गम् । सर्वार्थ पराक्रमाय अर्हमोदपुखा नमो भगवत चित्र किमत्र यदितेत्रिदशाङ्गनाभि अचिंत्य नमो र्नु -हीं बल ˇˋ कामरूपाय घ पृथ्वीवज्रगृखला मानसा महामानसा स्वाहा। -हा कल्पान्तकालमरुता चलिता चलेन क्रौं नमः श्रीं ह किं मन्दराद्विशिरवर चलितकदाचित् १५ कृत्स्न॑जगत्रयमिदं प्रकटी करोषि । नमः सुमंगलासुसीमानाम श्री विजयाय नमः निर्धूमवर्तिरपवर्जित तैलपूर नहीं एमोचनद सपुबी एं हजयाय नमः र्नु T h वियत प देवी सर्वसमीहिता सर्वज्र शुखतं. गम्योनजातुमरुतांचलिताचलानां पराजिताय नमः ग्लोमा भद्रायनमः कुरु कुरु स्वाहा। दीपोऽपरस्त्वमसिनाथजगत्प्रकाशः १६

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