Book Title: Bhaktamar Stotra
Author(s): Hiralal Jain
Publisher: Shastra Swadhya Mala
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स्वर्गापवर्गगममार्गविमार्गोष्टः कहींअर्हरामोजोसहिपताएनमोजय,
नमोगरा
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नमः स्या
सवकल्या
त्याएरातमा
पिनयमपराजितेमहालक्ष्मीअमृत सद्धर्मतत्त्वकथनैकपटुस्त्रिलोक्या।
रक्षर
वर्षिणीअमृतस्राविशीअमृतंभवभववषट् दिव्यध्वनिर्भवति ते विशदार्थसर्व
| भाषास्वभावपरिणामगुणेःप्रयोज्य:३५
सुधाय स्वाहा पद्मानितत्रविबुधाः परिकल्पयन्ति३६ ]
पवान्छिंदश्ममसमीहितंकुरुश्स्वाहा
lar उन्निद्रहेमनवपङ्कजपुञ्जकान्ती
हीअहणमोविप्पोसहिपत्ताहीं । कहां हीं श्रीं | | म हां -हीं की
च
| श्रींकलिकुंडदंडस्वामिन्यागच्छा पर्युल्लसन्नरखमयूरखशिखाभिरामी ।
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त्ममंत्राआकर्षयात्ममंत्रानुरक्षश्पर-। | पादौ पदानि तव यत्र जिनेन्द्र धत्तः
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