Book Title: Bhaktamar Stotra
Author(s): Hiralal Jain
Publisher: Shastra Swadhya Mala

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Page 147
________________ भिन्ने भकुम्भगलदुज्ज्वलशोणितातकहीं अर्हगमो वचवली : कों की PE कान, मो भग कों के नाकामतिक्रमयुगाचलसंश्रितंते३९ अतोनापरमंत्र निवेदनायनमास्वाहा कों क्रौं नमोएषु वृत्तेपुवईमानतव मुक्ताफलप्रकरभूषित भूमिभागः। २ को क्रों को क्रों भयहरंवृत्तिवर्णायेषु मंत्राः पुनःस्मर्तव्या बटुक्रमः क्रमगतं. हरिणाधिपोऽपि - कल्पान्तकालपवनोइतवह्रिकल्पं ___न्हींअर्हणमोकायवलीएं। स्वन्नामकीर्तनजलंशमयत्यशेषम् ४० कुरुकुरुस्वाहा सोसा ॐ हीं श्रीं की हां हीं | दावानलंज्वलितमुज्ज्वलमुत्स्फुलिङ्गम सासरा - अग्निमुपशमनंशान्ति विश्वं जियत्सुमिवसम्मुखमापतन्त

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