Book Title: Bhaktamar Stotra
Author(s): Hiralal Jain
Publisher: Shastra Swadhya Mala

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Page 150
________________ - - - शोच्यांदशामुपगताश्युतजीवि श्यतजीविताशा। सा:नमो भगवतीक्षुद्रोपद्रव | ई ई ई ई व | ते भ | गाढवृहन्निगडकोटिनिघृष्टजवनः 1 हाहीं श्रीं हूंही-हः : जज ऐं ऐं ऐं ऐं - #/ श्री य द्धं दं ह. उद्भूत भीषणजलोदरभारभुग्नाः न्हींअर्हएरामोअरवीएमहाएग टुं द 'इं ई ई य | भीष शाातकाारएगारागकष्टज्वरापशमन | त्वत्पादपङ्कजरजोमृतदिग्धदेहाः से ई आपादकण्ठमुरुशृङ्खलवेष्टिताङ्गा । कहीं अर्हएमी वड्डमाएाएनमो. ऐं ऐं क्षांक्षी डूं सः ऐं ऐं त्वन्नाममन्त्रमनिशमनुजाःस्मरन्तः ऐं ऐं श्री Sahy | her|रा । ई ई ई ___दं IF शांतिं कुरु कुरुस्वाहा। .... मल्भवन्ति मकरध्वजतुल्यरूपा:४५ | क्षयः स्वाहा। सबस्वयं विगतबन्ध भयाभवन्ति४६

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