Book Title: Bhaktamar Stotra
Author(s): Hiralal Jain
Publisher: Shastra Swadhya Mala
________________
छत्रत्रयं तवविभाति शशाङ्ककान्तनहीं एामोघोर गुएापरक्कमाएानुनक्स
गंगं गं गंग गं
प्रख्यापयत्रिजगतः परमेश्वरत्वम् ३१ प्रवासहीं नमः स्वाहा।
te le le le le
सर्वसिद्धिवृद्धिबांछांकुरु २ स्वाहा खेदुन्दुभिर्ध्वनतितेयशसः प्रवादी ३२
कन्हीं कहीं कहीं
कन्हीं को ही कों-हीं कन्हीं
सौं सौं
गंगगगगग
विसहरपिस लिसिए मंगलकल्लाए
मुक्ताफल प्रकरजालविवृद्धशो भं
गम्भीरतारखपूरित दिग्विभाग
मोघोर एवं भचारिएां
सौं सों सो
-हीं
सौं
| ह्रीं
ite the ite #
-हीं
सौं सौं
सौं
गंगगं गंग
से
सौं
-हीं
ग्गहरंपासंबंदामिकम्मधामुक्क मुच्चैः स्थितं स्थगित भानुकर प्रतापम्
सौं सौं
सौं सौं
नमो हन्हीं हूं हः सर्वदोष स्त्रैलोक्यलोकशुभसंगमभूतिदक्षः
निवारएां कुरुकुरु स्वाहा सद्धर्मराजजयघोषएाघोषकः सन्
Page Navigation
1 ... 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152