Book Title: Bhaktamar Stotra
Author(s): Hiralal Jain
Publisher: Shastra Swadhya Mala

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Page 141
________________ [P कोविस्मयोऽत्रयदिनामगुरशेषे नहींअहरामोतत्ततवान्नमो जं जंजं जं जं स्वप्नान्तरेऽपिनक दाचिदपीक्षितोऽसि२७ उन्मूलय स्वाहा । जंजं जंज सर्वार्थ सिडा | .जंजं जं जज अनुकूलसाधयसाधयशबूनुन्मूलय दोषैरुपात्तविविधाश्रय जातगवैः व जंजं जंजं जं • चक्रेश्वरीदेवीचक्रधारिणीचकेए। श्री ते स| । स्त्वंसंश्रितोनिरवकाशतया मुनीश ! || मानातिरूपममलं भवतोनितान्तम् .. भगवतेजयविजय जंभृय - उच्चैरशोकतरुसंश्रितमुन्मयूरव | नहींअर्हगमोमहातवाएर्ननमो | । ही-ही-ही-हीं ही । - ही विम्बरवेरिवपयोधरपार्श्ववर्ति।।२८॥ । सपत्तिसौख्यंकुरुकुरु स्वाहा। । ही ही ही ही हीं । जुभयमोहय मोहयसर्वसिद्धि स्पष्टोत्रसकिरणमस्ततमो वितानं -

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