Book Title: Bhaktamar Stotra
Author(s): Hiralal Jain
Publisher: Shastra Swadhya Mala

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Page 134
________________ यहासरे भवति पलाशकल्पम्१३ कस्तानियारयतिसंचरतोयथेष्टम् १४ .. महा मानसीस्वाहा। युक्त मोहनी सका वैजनवश्यकुती ई ही अ-लमहामान येसंश्रितास्त्रिजगदीश्वरनाथ मेक भगवती गुगवती रुकुरुस्वाहा सम्पूर्णमण्डलशशाङ्क कसाकलाप नहल्यू (द्राद्रादः विम्बकलङ्कमलिनक्कनिशाकरस्य वक्त्रंकतेसुरनरोरगनेत्रहारि का जुमदार ना सि हि महाश्रीहस विबुलमदीनुनमो निःशेषनिर्जितजगत्रितयोपमानम् । || शुभ्रागुणालि भुवनंतवलवयन्ति ।

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