Book Title: Bhaktamar Stotra
Author(s): Hiralal Jain
Publisher: Shastra Swadhya Mala

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Page 132
________________ hou प्रास्तातवस्तवन मस्त समस्तदोषं. नमो र्नु नौ नौ नौ नौ नौ स्वाहा नौ नौ नौ को पद्माकरेषुजलजानि विकासभाञ्जि भूत्याश्रितंयइह नात्मसमंकरोति १० नमः एान्हां ही 味 नौ हि फट्स्वाहा। धृताषा दिन दराएग एल्ब्यूँ श्री अहं Wimbl बुद्धान्मनो) ह्रीं ह्रीं हों ऋ यतांक्षांता भावे वर्ण स्वाहा & WEIRD ही ही ही हीं हीं ह शत्रुविन नात्यद्भुतं भुवन भूषा भूतनाथ नहीं हैएमी इन्हीं एमो सम र नौ नौ नौ नौ नौने दूरेसहस्त्रकिरएाः कुरुते प्रभव ण नमः माताएं नौ नौ नौ भगवते त्वत्संकथापि जगतां दुरितानि जय 00000 श्रीश्री भूकम नाशनाय उपसंग हराय. तुल्याभवंति भवतोननुतेन किंवा भूतैर्गु र्भुवि भवन्तम भीष्टुवन्तः

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