Book Title: Bhaktamar Stotra
Author(s): Hiralal Jain
Publisher: Shastra Swadhya Mala

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Page 136
________________ . स्पष्टीकरोषि सहसायुगपज्जगन्ति। जाएगर्नुनमोरामिकराअमठे तुद्रविघहे. गम्यं न राहुवदनस्य न वारिदानाम्। प्राप्तिजयंकरायहा-हींक्रोश्रींनमः नमो भगवते यस्वाहा। नास्तंकदाचिदुपयासिनराहुगम्या .. -हींअहणमोअट्ठांगमहाएिमित्रकुश हा| कु रुस्वा IPER क्षुद्रपीडाजठरपीडाभंजयभंजयसर्वक नाम्भोधरोदरनिरुद्धमहाप्रभावः बोधनायपराह नित्योदयंदलितमोहमहान्धकारं ननमो शास्त्रज्ञान शत्रुसैन्यनिवार विभ्राजतेतवमुरवाब्जमनल्पकान्ति शाययंयंयंभुरवि- क एहीं स्तंभयस्तंभ FT FFERBAR पीड़ासर्वरोगनिवारणंकुरु २ स्वाहा। ध्वंसनायनमः ॥ क्लीं ही नमः विद्योतयज्जगदपूर्वशशाङ्क विम्बम्१८ | सूर्यातिशायिमहिमासिमुनीन्द्रलोके१७

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