Book Title: Bhaktamar Stotra
Author(s): Hiralal Jain
Publisher: Shastra Swadhya Mala

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Page 125
________________ • २८-ऋद्धि-मंत्र की आराधना से और यंत्र पास में रखने से व्यापार में लाभ, विजय, सुख प्राप्त होता है। सब कार्य सिद्ध होते हैं। . २६-ऋद्धि तथा मन्त्र के द्वारा १०८ बार मंत्रित जल पिलाने से और यन्त्र को पास रखने से दुखती हुई, आँखें अच्छी हो जाती हैं, बिच्छू का विष उतर जाता है। ३०-मंत्र की आराधना करने तथा यन्त्र अपने पास रखने से शत्रु का स्तम्भन होता है, चोर सिंहादि का भय नहीं रहता। ३१-यन्त्र अपने पास रखने तथा मंत्र की जाप से राज्य में सम्मान होता है, दाद खुजली आदि चर्मरोग नहीं होते। ३२-कुमारी कन्या के द्वारा काते हुए सूत को ऋद्धि-मन्त्र द्वारा मंत्रित करके उस सूत को गले में बाँधने से और यन्त्र पास में रखने से संग्रहणी आदि पेट के रोग दूर हो जाते हैं। ३३--कुमारी कन्या द्वारा काते हुए सूत को ऋद्धि-मंत्र द्वारा २१ बार मंत्रित करके, उस सूत का गंडा गले में बाँधने से, झाड़ा देने तथा यन्त्र पास में रखने से एकांतरा, ज्वर, तिजारी, ताप आदि रोग दूर होते हैं। गुग्गुल मिश्रित घी की धूप खेनी चाहिए। ३४- कसूम के रंग से रंगे हुए सूत को ऋद्धि-मंत्र द्वारा १०८ बार मंत्रित करके तथा उसको गुग्गुल की धूप देकर बांधने से और यन्त्र पास में रखने से गर्भ असमय नहीं गिरता।। .. ३५-ऋद्धि-मन्त्र की आराधना करने और यन्त्र पास रखने से दुभिक्ष, चोरी, मरी, मिरगी, राजभय आदि नष्ट होते हैं । इस मंत्र की आराधना स्थानक में करनी चाहिए और यंत्र का पूजन करें। .३६-ऋद्धि-मंत्र की आराधना से और यंत्र पास रखने से सम्पति लाभ होता है। विधान-१२००० जाप लाल पुष्प द्वारा करनी चाहिए और यंत्र की पूजन भी साथ करनी चाहिये ।

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