Book Title: Bhaktamar Stotra
Author(s): Hiralal Jain
Publisher: Shastra Swadhya Mala

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Page 126
________________ (50) ३७ - ऋद्धि मंत्र द्वारा २१ बार पानी मंत्र कर मुंह पर छींटने से और यंत्र पास रखने से दुर्जन वश होता है, उसकी जीभ का स्तम्भन होता है । ३८ - ऋद्धि मंत्र जपने से और यंत्र पास रखने से धन का लाभ होता है और हाथी वश में होता है । ३९ - ऋद्धि मंत्र जपने और यंत्र पास रखने से सर्प और सिंह का डर नहीं रहता तथा भूला हुआ रास्ता मिल जाता है । ४० - ऋद्धि मंत्र द्वारा २१ बार पानी मंत्रकर घर के चारों ओर छींटने से और यंत्र पास रखने से अग्नि का भय मिटता है । ४१ - ऋद्धि मंत्र के जपने से तथा यंत्र के पास रखने से राजदरबार में सम्मान होता है और झाड़ा देने से सर्प का विष उतरता है । कांसे के कटोरे में जल १०८ बार मंत्रकर पानी पिलाने से विष उतर जाता है । ४२ - ऋद्धि मंत्र की आराधना से और यंत्र के पास रखने से युद्ध का भय नहीं रहता । ४३ - ऋद्धि - मंत्र की आराधना और यंत्र पूजन से सब प्रकार का भय मिटता है । युद्ध में हथियार को चोट नहीं लगती तथा राजद्वारा धन-लाभ होता है । ४४ - ऋद्धि-मंत्र की आराधना और यंत्र के पास रखने से आपत्ति मिटती है । समुद्र में तूफान का भय नहीं होता । समुद्र पार कर लिया जाता है | ४५ - ऋद्धि-मंत्र जपने और यंत्र पास रखने तथा उसको प्रतिदिन त्रिकाल पूजा करने से सर्व भयानक रोग नष्ट होते हैं और उपसर्ग दूर होता है । ४६ - ऋद्धि मंत्र जपने और यंत्र पास रखने तथा उसकी त्रिकाल पूजा करने से कैद से छुटकारा होता है । राजा आदि का भय नहीं रहता है । प्रतिदिन १०८ बार जाप करना चाहिए ।

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