Book Title: Bhaktamar Stotra
Author(s): Hiralal Jain
Publisher: Shastra Swadhya Mala

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Page 128
________________ भक्तामर प्रगतमीलिमणिप्रभाएा. लॉर्नुकीलीक्लींजींनलीनुतीर्नुलीषुलीतलीली पक्राय वालम्बनं भवजलेपततांजनानाम्॥१ नहीं कीर्नुकीली की कीमशीन्कीर्नुलीही SWERSIRAM कॉर्नुकीं लीलीलीक्रीहीनीली ली मुद्योतकं दतितपापतमोवितानम्। । पहलीलीं क्लीं क्लींर्नुलींहोंगेली कींनक्कीन्हींर्नुलीं सम्यकूपएम्यजिनपादयुग युगादा - यासंस्तुतः सकलवाङ्मयतत्त्वबोधाकंकर्नेकककककककककर्नुकं नहीं श्रीं क्लीं बॅनमः| श्रीश्रीश्रीश्रीं स्तोम्येकिलाहमपितंप्रथमंजिनेन्द्रम् २ किकककककर्नुकंफर्नुकतकर्तकर्नुकं ओहि जिएगाएं श्रीश्रीं श्रीं श्रीं श्रीश्रीं सकलार्थसिद्धी कककर्नुकंकर्नेकर्नुकककककनका दुद्भूतबुद्धिपदुभिः सुरलोक नाथैः । . श्रीश्रीश्रीश्रीं -हीं अर्हगमो कर्नुकंर्नुकंर्नुकंर्नुकंकर्नुकंर्नुकंर्नुकककर्नुकं स्तोत्रैजेगल्लितयचित्तहरेरुदारैः

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