Book Title: Bhaktamar Stotra
Author(s): Hiralal Jain
Publisher: Shastra Swadhya Mala

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Page 77
________________ हाथी वशीकरण श्च्योतन्-मदा-विल-विलोल-कपोल-मूल, मत्त-भमद्-भ्रमर-नाद विवृद्ध-कोपम् । ऐरावताभ-मिभ-मुद्धत-मापतन्तं, . दृष्ट्वा भयं भवति नो भवदा-श्रितानाम् ॥३८॥ मद-अवलिप्त-कपोल-मूल अलि कुल झकार, .. तिन सुन शब्द प्रचण्ड क्रोध उद्धत अति धार। काल वरन विकराल कालवत सन्मुख आवै, ऐरावत सौ प्रबल सकल जन भये उपजावै ॥ दैखि गयन्द न भय करै, तुम पद महिमा लीन । विपति-रहित संपति सहित, वरतें भक्त अदीन ।। अर्थ-हे प्रभो ! जिसके कपोल' (गाल) से झर रहे मद पर भौंरे गूञ्ज रहे हैं, अतः भौंरों की गुजार सुनकर जिसको प्रचण्ड क्रोध आ गया है, ऐसे मदोन्मत्त ऐरावत-जैसे हाथी को भी देखकर आपके आश्रित भक्तों को जरा भी भय नहीं होता ॥३८॥ ऋद्धि-ॐ ह्रीं अहं णमो मणवलीणं । मंत्र-ॐ नमो भगवते अष्ट महा-नाग-कुलोच्चाटिनी काल-दष्टमृतकोत्थापिनी परमंत्र प्रणाशिनी देवि शासनदेवते ह्रीं नमो नमः स्वाहा। Those, who have resorted to You, are not afraid even at " the sight of the Airavata-like infuriated elephant, whose anger has been increased by the buzzing sound of the intoxicated bees hovering about its cheeks soiled with the flowing rut, and which rushes forward. 38.

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