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( -१ )
भक्तामर स्तोत्र के मन्त्र
( साधन विधि और फल )
भक्तामर स्तोत्र के ४८ श्लोकों के जो ४८ मन्त्र हैं उनकी साधन विधि तथा फल क्रमशः नीचे लिखे अनुसार हैं:
१ - प्रतिदिन ऋद्धि और मन्त्र १०८ बार जपने से तथा यन्त्र पास रखने से सब तरह के उपद्रव दूर होते हैं ।
२ - काले वस्त्र पहन कर काले आसन पर दंडासन से बैठ कर काली माला से पूर्व दिशा की ओर मुख करके प्रतिदिन १०८ बार ऋद्धि, मंत्र २१ दिन तक अथवा सात दिन तक प्रतिदिन १००० जपना चाहिये इससे शत्रु तथा शिर पीड़ा नष्ट होती है । यन्त्र पास रखने से नजर बन्द होती है। उन दिनों में एक बार भोजन करना चाहिये तथा प्रतिदिन नमक से होम करना चाहिए ।
३ – कमलगट्टा: की माला से ऋद्धि और मन्त्र ७ दिन तक प्रतिदिन १०८ बार जपना चाहिये। होम के लिये दशांगधूप हो और गुलाब के फूल चढ़ाये जावें । चुल्लू में जल मंत्रित करके २१ दिन तक मुख पर छींटे देने से सब प्रसन्न होते हैं । यन्त्र पास में रखने से शत्रु की नजर बन्द हो जाती है ।
४ – सफेद माला द्वारा ७ दिन तक प्रतिदिन १००० बार ऋद्धि और मन्त्र जपना चाहिये, सफेद फूल चढ़ाने चाहियें। पृथ्वी पर सोना तथा एकाशन करना चाहिए । यदि कोई मछली पकड़ रहा हो २१ कंकड़ियां लेकर प्रत्येक कंकड़ी ७ बार मंत्र पढ़ कर जल में डाली जावे तो एक भी मछली जाल या कांटे में न आवेगी ।.
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