Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 1
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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प्रस्तावना
कमल के समान गन्ध वाली हो और जहाँ प्रायः कोयल आया-जाया करती हों और गोहद ने अपना निवास बनाया हो, इस प्रकार की भूमि में नीचे स्वर्णादि द्रव्य रहते हैं। दूध के समान गन्धे बाली भूमि के नीचे रजत, मधु और पृथ्वी के समान गन्ध वाली भभि के नीचे रजत और ताम्र, कबूतर की बीट के समान गन्ध वाली भूमि के नीचे पत्थर और जल में समान गन्धवाली भूमि के नीचे अस्थियाँ निकलती हैं ! जिस भूमि का वर्ण सदा एक तरह का नहीं रहे, निरन्तर बदलता रहे और गट्ठा के समान गन्ध निकले उस भूमि के नीचे सोना या रत्न अवश्य रहते हैं। कराली पक्षकार के समान ज गन्ध निकलती हो तथा 'मधुर रस हो, उस भूमि के नीचे रजत .. चाँदी या चाँदी के सिगवे निकलते हैं।
छिन्न मिमित वस्त्र, शस्त्र, आसन और ब्यादि को हिदा हुआ देख कर शुभाशुभ फल कहना खिन्न निमित्त ज्ञान के अन्तर्गत है। बताया गया है कि नये वस्त्र, आराम, शय्या, शस्त्र, जूता आदि के नौ भाग करके विचार करना चाहिए । वस्त्र के कोणों के चार भागों में देवता, पागान्त--मल भाग पे दो भागों में मनुष्य और मध्य के तीन भागों में राक्षस बसते हैं। नया घस्या या उपर्थक्त नयी वस्तुओं में स्याही, गोबर, नीचड़ आदि लग जाय, उपर्युक्त बस्तुएं जल जायें, फट जायं, कट जायं तो अशुभ फल समझना चाहिए। कुछ पुराना वस्त्र पहनने पर जल या कट जाय तो सामान्यतया अशुभ होता है । राक्षस के भागों में वस्त्र में छेद हो जाय तो बस्त्र के स्वामी को रोग या मृत्यु होती है, मनुष्य भागों में छेद हो जाने पर पुत्र-जन्म होता है तथा बैशवशाली पदार्थों की प्राप्ति होती है। देवताओं के भागों में छेद होने पर धन, ऐश्वयं, वैभव, सम्मान एवं भोगों की प्राप्ति होती है। देवता, मनुष्य और राक्षस इन तीनों के भागों में छेद हो जाने पर अत्यन्त अनिष्ट होता है। ___ कंकपक्षी, मेढक, उल्लू, कपोत, काका, मांसभक्षी नादि, जम्बुवा, गधा, ऊँट और सर्प के आकार का छेद देवता भाग में होने पर भी वस्त्र-भोवता को मृत्यु तुल्य कष्ट भोगना पड़ता है । इस प्रकार छेद होने में धन का विनाग भी होता है । देवता भाग के अतिरिक्त अन्य भागों में छद होने पर तो २स्त्र-भोक्ता को नाना प्रकार की अधि-व्याधियाँ होने की सुचना मिलती है। अपमान और तिरस्कार भी अनेक प्रकार के सहन करने पड़ते हैं ! छत्र, ध्वज, स्वस्तिवा, विल्य फल-वेल, कलश, चामल और तोरणादि के आकार का छेद राक्षस भाग में होने से लक्ष्मी की प्राप्ति, पद-वद्धि, सम्मान और अन्य सभी प्रकार के अभीर फल प्राप्त होते हैं।
वस्त्र धारण करते समय उसका दाहिना भाग जल जाय या फट जाय तो वस्त्र'भोक्ता को एक महीने के भीतर अनेक प्रकार की बीमारियों का मामना करना पडता है। बायें कोने के जलने या कटने में बीम दिन में घर में जो.. न कोई आत्मीय