Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 1
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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प्रस्तावना
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में काक बोले तो व्याधि, रोगी का ब वं आपस में स्थित होकर काफ मधुर शब्द करे तो अभीष्ट फल की प्राप्ति होती है। पूर्व दिशा में स्थित काक प्रथम प्रहर में सुन्दर शब्द बोले तो चिन्तित कार्य की सिद्धि, प्रचुर धन-लाभ; अग्नि कोण में स्थित होकर काक बोले तो स्त्री-लाभ, मित्रता की प्राप्ति एव दक्षिण दिशा में बोले तो स्त्री-लाभ, सौख्य-प्राप्ति, नैऋत्य कोण में बोले तो मिष्टान्न प्राप्ति एवं पश्चिम दिशा में बोले तो जल की वर्षा, अतिथि आगमन एवं कार्य-सिद्धि की सूचना मिलती है। __ दूसरे प्रहर में काफ पूर्व दिशा में बोले तो पथिक-आगमन, चौरभय और आकुलता; अग्नि कोण में बोले तो निश्चय कलह, प्रिय आगमन का श्रवण, स्त्री प्राप्ति और सम्मान लाभ; नैऋत्य कोण में बोले तो प्राणभय, स्त्री-भोजन लाभ, सर्वरोग विनाश और जन-गमागम; पश्चिम में बोले तो अभ्युदय का सूचक; वायव्य कोण में बोले तो चोरी का भय; उत्तर दिशा में बोले तो धन-लाभ और इष्ट-जनसमागम; ईशान दिशा में बोले तो त्रास एवं आकाश में बोले तो गिप्टान्न-लाभ, राजानुसह-लाभ और कार्य सिद्धि होती है।
उल का दिन में बोलना अत्यन्त अशुभ गाना जाता है। रात्रि में कठोर शब्द उल्लू बारे तो 'भय-प्राप्ति, अनिष्ट सूचक, आधि-व्याधि सूचक तथा मधुर शब्द करे तो कार्य-सिद्धि, सम्मान-लाभ और एक वर्ष के भीतर धन प्राप्ति की सूचना समझनी चाहिए।
मुर्गा, हाथी, मोर और शृगाल क्रूर गाद करें तो अनेक प्रकार के भय, मधुर शब्द करने गे इष्ट-लाभ तथा अति मधुर शब्द करने से धनादि का शीघ्र लाभ होता है । गाल का दिन में बोलना अशुभ माना गया है। दिन में शृगाल कर्कश ध्वनि करे तो आधि-व्याधि की सूचना समझनी चाहिए । कबूतर और तोते का रुदन शब्द सर्वदा अशुभ कारक माना गया है । बिल्ली का पश्चिम दिशा में स्थित होकर रुदन करना अत्यन्त अशुभ समझा जाता है। पूर्व दिशा में बिल्ली का बोलना साधारणतया शुभ समझा जाता है । वास्तविक फलादेश कर्क ग, मधुर और मध्यम ध्वनि के अनुसार शुभाशुभ फल के रूप में समझना चाहिए । बिल्ली का तीन बार जोर से शेलना या रोना और चौथी बार धीरे से बोलकर या रोकर चुप हो जाना योता के अत्यधिक अनिट-गृचक है। माय, बैल, भैस, बकरी इनकी मधुर, कोमल, करंज एवं मध्यम ध्वनियों के अनुसार फलादेशों का निरूपण किया गया है । रोने की ध्वनि तथा इसमे की ध्वनि सभी पशु-पक्षियों की अशुभ मानी गयी है । गधुर जोर स द ध्वनि, जो क कटु न हो, शुभ होती है । फलों से युक्त हरे-भरे वश्च पर स्थित होकर पक्षियों का बोलना शुभ और सूखे वृक्ष या काठ के ढेर पर स्थित होकर बोलना अशुभ होता है।
भौम निमित्त भूमि के रंग, चिानाहट, रूखेपन आदि के द्वारा शुभाशुभत्व