Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 1
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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प्रस्तावना
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श्रेष्ठ राजकर्मचारी एवं श्रेष्ठ न्यायाधीश होता है । इस प्रकार के व्यक्ति जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में अधिक सफल होते हैं।
स्त्रियों के अंगों का शुभाशुभत्व बतलाते हुए कहा है कि जिस स्त्री की मध्यमांगुली दूसरी अँगुलियों से मिली हो, वह सदा उत्तम भोग भोगती है, उसका एक भी दिन दुःख से नहीं बीतता । जिसका अंगुष्ठ गोल और मांसल हो तथा अग्रभाग उन्नत हो, वह अतुल सुख और सौभाग्य का सम्भोग करती है। जिसकी अंगुलियाँ लम्बी होती हैं, वह प्राय कुलटा और जिसकी अंगुलियां पतली होती हैं, वह प्रायः निर्धन होती हैं ।
जिस स्त्री के पैर के नम् स्निग्ध, समुन्नत, ताम्रवर्ण, गोलाकार और सुन्दर होते हैं तथा जिसके पैर के तलवे उन्नत होते हैं, वह राजमहिषी या गजमहिषी के तुल्य सुख भोगने वाली होती है। जिसके घुटने मांसल तथा गोल हैं, वह सोभाग्यशालिनी होती है। जिसके जानु या छूटने में मांग नहीं, वह दुश्चरित्रा और दरिद्रा होती है । जिसके हृदय में नहीं, जिसका दान, किन्तु समतल है, वह श्री ऐश्वर्यशालिनी और सौभाग्यवती होती है । जिस स्त्री के स्तन का गुल भाग मोटा है और उपरिभाग क्रमशः पतला होता है, वह बाल्यकाल में सुख भोगती है, पर अन्त में दुःखी होती है। जिस स्त्री के नीचे की पंक्ति में अधिक दाँत हों उसकी माता की मृत्यु असमय में ही हो जाती है । किसी भी स्त्री की नासिका के अग्रभाग का स्थूल होना, मध्य भाग का नीचा होना या उन्नत होना अशुभ कहा गया है। ऐसी स्त्री असमय में विधवा होती है ।
जिस स्त्री की आँखें गाय की आँखों की तरह पिंगलवर्ण की हों, वह स्त्री गवता होती है। जिसकी आंखें कबूतर की तरह हैं, वह दुक्शीला होती है और जिसकी आँखें रक्तवर्ण की हैं, वह पतिघातिनी होती है। जिस स्त्री की बायीं आँख कानी हो, वह दुश्चरित्रा और जिसकी दाहिनी आंख कानी, बहु बन्ध्या होती है । सुन्दर और सुडौल आँख वाली नारी सुखी रहती है ।
जिस स्त्री का शरीर लम्बा हो तथा उसमें लोम और शिरा-नसें दिखलाई दें, वह रोगिणी होती है । जिसके भौंह या ललाट में तिल हो, वह पूर्ण सुखी जीवन व्यतीत करती है | श्याम वर्ण की नारी के पिंगल केश अत्यन्त अशुभ माने गये हैं। ऐसी नारी पति और सन्तान दोनों के लिए कष्टदायक होती है। चौड़े वक्षस्थल वाली नारी प्राय: विधवा होती है। जिसके पैर की तर्जनी, मध्यमा अथवा अनामिका भूमि का स्पर्श नहीं करतीं, वह सुखी और गौभाग्यशालिनी होती है।
जिस नारी की ठोड़ी मोटी, लम्बी या छोटी होती है, वह नारी निर्लज्ज, तुच्छ विचार वाली भाबुक और संकीर्ण हृदय को होती है। गहरी ठोड़ी वाली नारियों में अधिक कामुकता रहती है, घर में नारियाँ मिलनगार, यशस्विनी और परिवार में सभी की प्रिय होती हैं । गठी ठोड़ी वाली नारियां कार्यकुशल, सुखी