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साधुसाध्वी ||६||" यस्याः क्षेत्रं समाश्रित्य" यह कहना, " नमोऽस्तु वर्द्धमानाय " के तीनों श्लोक गुरु बोल जाये बाद सब जणे विधि
बोलें। स्तवन की जगह पर अजिसंता कहें।खुद्दोबद्दव० काउस्सग्ग करे वादे खमा० देकर इच्छा० संदि० भग०! असज्झाइय (१) अणाउत्त ओहडावणऽत्थं काउम्सग्गं करूं?, इच्छं असल्झाइय अणाउत्त ओहऽडावणऽत्थं करेमि काउस्सग्गं, अन्नत्य० कहकर ४ लोगस्सका काउस्सग्ग करे, पार के प्रगट लोगस्स कहे, बाद सज्झाय करे, सज्झाय || में धम्मो मंगल की ५ गाथा कहें, पार्श्वनाथ स्वामी का चैत्यवंदन करते हुए स्तवन के बदले उवसग्गहरंही कहना ||
___ १३- छींकदोष निवारण विधिःपख्खी-चौमासी अथवा संवच्छरी मुहपत्ती पडिलेहणेसे लगाकर अंतमें ४ खामणे खामे वहांतक (१) संवच्छरीमें तो असनायका काउस्सग्ग करना ही नहीं “पख्खी तथा चौमासी में यदि असज्झाय न होवे ? तो असज्झाय का काउसग्ग करना चाहिये," ऐसा समाचारी शतकमें कहा है, इससे यह समझा जाता है कि आषाढ और कार्तिक चौमासी में तो हमेशा १६ पहोरका असज्झाय होता है वास्ते असज्झायका काउसग्ग नहीं करना और फागण चौमासीमें-चौमासीके दिनही लोकमें यदि होली सलगाइ जाय ? तो उस दिन काउस्सग्ग नहीं करना, परन्तु चौमासी के दूसरे दिन यदि होली सलगाइ जाय ? तो चौमाके दिन असज्झायका काउस्सग्ग जबर कर लेना. अन्य पख्खी के दिन यदि किसी तरहका असज्झाय न दोघे ? तो करना, अन्यथा नहीं करना ।
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