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साधुसाध्वी से गलत्कुष्ट (झरता हुआ कोढ) हो १३, जिसके हाथपगोंमें बेडियां पहराई हुई हो १४, जो उखलमें धान्या-|| आवश्य।। ७१॥दिको मुशलसे कूटती हो १५, घट्टीसे गहुं आदि अथवा शिला उपर कोई सचित्त वस्तु पीसती हो अथवा दल-कीय विचार
ती हो १६, चणें आदि पूंजती (सेकती) हो १७, अरटिया कातती हो १८, चरखीसे रू पीलती हो १९, ६ हाथोंसे रू छूटा छूटा करती हो २०, रू पीजती हो २१, विलोवणा (जलका) करती हो २२, भोजन करती है
हो २३, जिसके आठ महीनेसे (१) अधिक दिनका गर्भ हो २४, जो आहार नहीं खानेवाले बिल्कुल छोटे बाल18कको उठाये हुए हो अथवा बच्चेको स्तनपान कराती (धवराती ) हो २५, जिसके हाथमें सचित्त लूण अथवा है
मट्टी-पाणी-अग्नि-पवनसे भरीहुई मशक (दीवडी)-वनस्पति तथा चलता फिरता जानवर हो अथवा फूलोंकी | माला वगेरह पहरे हुए हो २६, जो छ कायका विनाश करती हो २७, ऐसे ऐसे मनुष्योंसे जो आहार लेवे वह 'दायक ' दोष ६, देनेकी चीज थोडी होनेके कारण लज्जासे अथवा जुदी जुदी वहराने में देर लगेगी इस-||
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(१)-आठ महिनेसे अधिक दिनके गर्भवालीभी साधुके निमित्त उठना बैठना या नीचा नमना आदि परिश्रम न करती हुई जैसे जिस जगह बैठीहो वैसे उसी जगह बैठी हुई यदि वहरावे तो वहरना कल्पताहै, अन्यथा नहीं।
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