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साधुसाध्वी के बाद दिनभरके वास्ते तीन प्रकारके आहारका ही त्याग होता है परंतु कच्चा पाणी सचित होने से नहीं पीया जाता वैसेही दिवसचरिम तिविहारमें भी तिविहार उपवास आदिके समानही तीन प्रकारके आहार का त्याग होता है वास्ते दिवसचरिम तिविहारका पच्चख्खाण करे बाद रातमें सचित्त ( कच्चा ) पाणी पीना नहीं कल्पता ।
॥ ११२ ॥
सूतक - विचार
१ -- पुत्र जन्म होनेसे दस दिन सूतक, पुत्री दिनमें जन्मे तो ११ दिन और रात्रिमें जन्मे तो १२ दिन सूतक
२ -- प्रसववाली स्त्रीको एक मासका सूतक, वहांतक मंदिरमें न जावे, ४० दिनतक देवपूजा न करे. तथा साधुको वहोरावे नहीं ।
३ - - परदेशसे मृत्युकी सुणावणी आनेपर एकदिन सूतक । जन्म होतेही मृत्यु होनेपर एकदिन सूतक । यह मृत्यु दिनसे ही एक दिनका सूतकहै ऐसा नहीं मानना किन्तु जन्म सूतक के ११-१२ दिनके
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॥ ११२ ॥
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