Book Title: Avashyakiya Vidhi Sangraha
Author(s): Labdhimuni, Buddhisagar
Publisher: Hindi Jainagam Prakashak Sumati Karyalaya

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Page 114
________________ संग्रहा साधुसाध्वी के पर्वतिथि यदि दो होवे तो उस पर्वतिथिका उपवास आदि व्रत-नियम पहली पर्व तिथिमें करना, अर्थात् आवश्य॥११०॥ उदय तथा अस्त दोनों सहित संपूर्ण साठ (६०) घडीकी पहली दूज, पहली पंचमी और पहली इग्यारस * कीय विचार के दिन उपवास आदि व्रत-नियम करना, लीलोतरीका त्याग तथा शीलवतका पालना आदि अगता पहली हैं। और दूसरी दोनों पर्वतिथिओंमें गृहस्थोंको पालना चाहिए। १६-लौकिक टीपणेमें किसीभी महिनेकी दूज, पंचमी तथा इग्यारस इनमेंसे चाहे जिस पर्वतिथि है, का क्षय होवे तो उस पर्वतिथिके उपवास आदि कृत्य पहली तिथिमें करना, अर्थात् दूजका क्षय होवे तो है हजके व्रत नियम एकमके दिन, पंचमीका क्षय होवे तो पंचमीके व्रत-नियम चौथके दिन और इग्यारसका है। क्षय होवे तो इग्यारसके व्रत-नियम दशमके दिन करने । १७-लौकिक टीपणेमें चाहे जिस महीनेके कृष्ण (वद-अंधेरिए) पक्षकी इग्यारस यदि दो होवे । तो दशमका एकासणा दशमके दिनही करना, परन्तु अपनी मनः कल्पनासे दो दशम मानके दूसरी दशम जो कि 8/॥ ११० ॥ ज्योतिषके हिसाबसे उदय तथा अस्त दोनों सहित संपूर्ण साठ (६० ) घडीकी पहली इग्यारसहै उस XXXXXBACHER ARADARSG -XX ___JainEducation intex 2010_05 For Private Personal use only www.jainelibrary.org

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