Book Title: Avashyakiya Vidhi Sangraha
Author(s): Labdhimuni, Buddhisagar
Publisher: Hindi Jainagam Prakashak Sumati Karyalaya

View full book text
Previous | Next

Page 113
________________ संग्रहः साधुसाध्वी चउदस-पूनम या चउदस-अमावसका छठ (बेला ) करता होवे वह तेरस और चउदसका बेला कर लेवे आवश्य कीय विचार २०१बालेकिन पक्खी तथा चौमासी पडिक्कमणा तो चउदसकाही करे । १३-लौकिक टीपणेमें किसीभी महिनेकी चउदस यदि दो होवे तो चउदस या पक्खीका उपवास तथा पक्खी और चौमासी पडिकमणा सूर्य उदय युक्त संपूर्ण साठ (६०) घडीकी पहली चउदसके दिन करना, घडी आधी घडीकी दूसरी अधूरी चउदसके दिन नहीं करना, अलबत्ता लीलोतरीका त्याग, शीलवत का पालना आदि अगता तो पहली और दूसरी दोनों चउदसोंके दिन गृहस्थोंको पालना चाहिए, ज्यादा पालने में कोई नुक्सान नहींहै, लाभहीहे, कमती पालनेमें एक पर्वतिथिकी विराधनाके कारण जरूर अलाभ (नुक्सान) है। 3 १४-लौकिक टपिणेमें किसीभी महिनेकी चउदसका क्षय होवे तो बंधी (१४ वर्ष १४ महिने 3 आदिके प्रमाणसे उचरी हुइ) चउदसके व्रतका उपवास तो तेरस को कर लेना परंतु पक्खीका उपवास तथा । पक्खी और चौमासी पडिक्कमणा आगमसम्मत पूनम या अमावसके दिन करना, तेरसके दिन नहीं। ॥१९॥ | १५--लौकिक टीपणेमें किसीभी महिनेकी दूज ( बीज ), पंचमी तथा इग्यारस इनमेंसे कोईभी । XXXXXXXXXXXXXX XAXXXXXXXXXXX ___JainEducation inm 2 010_05 For Private Personal use only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140