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साधुसाध्वी । यदि पंचमीका क्षय होवे तो आचरणा सम्मत चौथ के दिन संवच्छरी पडिक्कमणा करना, परंतु आगम और / आवश्य
+कीय विचार ॥१०८॥ आचरणा दोनोंसे विरुद्ध होके तीजको कभी नहीं करना।
संग्रहः १०-लौकिक टीपणेमें यदि संवच्छरीकी चौथ दो होवे तो संपूर्ण ६० घडीकी पहली चौथके दिन है। संवच्छरी पडिक्कमणा करना, परंतु १-२ अथवा १०-२० पलकी अथवा घडी दो घडीकी अधूरी दूसरी चौथ के दिन नहीं करना, यदि पंचमी दो होवे तो आचरणा सम्मत चौथ के दिन संवच्छरी पडिकमणा करना, परंतु आचरणा विरुद्ध होके झूटी कल्पनासे चौथ मानकर पहली पंचमीको संवच्छरी पडिक्कमणा नहीं करना।
११-लौकिक टीपणेमें किसीभी महिनेकी पूनम या अमावस यदि दो होवे तो पक्खी तथा चौमासी पडिक्कमणा चउदसके दिन करना, पहली पूनम या अमावसके दिन नहीं करना। । १२-लौकिक टीपणेमें किसीभी महिनेकी पूनम या अमावसका क्षय होवे तो पक्खी और चौमासी । 2. पडिक्कमणा तथा पक्खी संबंधी अथवा चउदस संबंधी उपवास चउदसके दिनही करना, परंतु अपनी मनः
कल्पनासे, तेरसको चउदस और चउदसको पूनम या अमावस मानके तेरसके दिन नहीं करना, जो कोई
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