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साधुसाध्वी
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हिप्स (१) होवे तो एक पहोर असज्झाय ।
२ - चौमासे विना शेषाकालमें यदि विजलि चमके अथवा वर्षा (२) होवे तो एक पहोर और गर्जारव होवे तो दो पहोर असज्झाय ।
३ - ग्रहण - चंद्रग्रहण होवे तो जघन्य ८ पहोर और उत्कृष्ट १२ पहोर और सूर्यग्रहण होवे तो जघन्य | १२ पहोर तथा उत्कृष्ट १६ पहोर असज्झाय । अब जघन्य तथा उत्कृष्टका विवरण आगे लिख बताते हैंचंद्रग्रहण - उदय होते हुएही चंद्रमाके ग्रहण लगे और कुच्छ देरके बाद छूटजाय अथवा रात्रिके
सूत्रों के लिये है और जगत में कुच्छभावी उत्पात सूचक किसी दिन उदय अथवा अस्त होनेके समय सूर्य बिंबके नीचे लाल अथवा काले | रंगका गाडीकी ऊधीके समान आकारका दंडा देखनेमें आवे तो वहभी 'यूपक' कहाताहै । ( १ ) - किसी एक दिशामें ठहर ठहरके बिजलीके समान प्रकाश होवे. अथवा बिजलीके समान प्रकाश करता हुआ अग्नि सहित पिशाचका रूप देखने में आवे वह 'यक्षोदिप्त ' अथवा 'यक्षादित' या 'यक्षदिप्त' कहता है ( २ ) - शेषाकाल में वर्षा होनेपर असज्झाय होने का संस्कृत या प्राकृत ग्रंथों में तो किसी में नहीं देखाजाता, परन्तु भाषाके असज्झाय विचारोंमें प्रायः सर्वत्र लिखा है. अतः यहांभी लिखदिया है । इसमें उत्तराध्ययन आदि कालिक सूत्रोंका असज्झाय होता है, परन्तु दशवैकालिक आदि उत्कालिक सूत्र पढने में कोई हर्ज नहीं, इसतरह पक्खी परिक्रमणा करे बादभी रात में प्रथम पहर तक कालिक सूत्रोंका असज्झाय होता है ।
2010 05
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आवश्य
कीय विचार
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