Book Title: Avashyakiya Vidhi Sangraha
Author(s): Labdhimuni, Buddhisagar
Publisher: Hindi Jainagam Prakashak Sumati Karyalaya

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Page 107
________________ साधुसाध्वी 4 मैली पडनेके बाद ३ पहोर असल्झाय। आवश्य३-व्यावे तो दूसरी जगह पर, लेकिन मैली उपासरेके नजीक ६० हाथ तकमें यदि पडे तथा कार कीय विचार संग्रहः इंडा फूटे तो ३ पहोर असज्झाय । उपासरे में अथवा उपासरके बाहर भी किसी कपडे आदिके ऊपर है। २ इंडा फूटे तो ६० हाथसे दूर जाकर कपडा धो डाले तो असज्झाय नहीं होता, परन्तु भूमि ऊपर यदि घटे और उसका रस जमीन में उतर जाय तब तो चाहे जमीन ऊपरसे निकाल देवे तो भी तीन पहोरका | असल्झाय अवश्य होता है, क्योंकि जमीन खोद कर कुच्छ निकाली नहीं जाती। जिसमें मक्खीका पगडूब सके उतना भी इंडेके रसका अथवा रुधिरका बिंदु यदि जमीन ऊपर पडे तो असल्झाय होता है। ४-उपासरेके आसपास सो सो हाथ तकमें मनुष्यका मांस-चमडा (चामडी ) और रुधिर पडे तो मनुष्यके शरीरसे जुदे हुए बाद १ अहोरात्रि असज्झाय । मांस और चमडी तो तीन पहोरके पहले भी । यदि उठा देवे तो असज्झाय मिट जाताहै, परंतु पडे हुए रुधिरको उठा देवे तो भी १ अहोरात्रि असज्झाय ॥१०॥ होता है, घडि आधी घडी रात रहते भी जो रुधिर पडा हो उस को उसी वख्त उठवा देवे तो सवेरे सूर्य KA-BARRxoxoxoorxar Jain Education Internal For Private & Personal use only www.jainelibrary.org

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