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साधुसाध्वी
॥१०५॥
संग्रहः
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९-मनुष्य या तिर्यंच, चाहे जिसकी हो, जो हड्डी श्मशानमें जलगई हो, अथवा किसी जगहसे 21
आवश्यपाणीमें बहकर आई हो उसका असज्झाय नहीं होता ।
कीय विचार १०-मनुष्यके शरीर संबंधी अवयव अथवा रुधिर सौ हाथके अन्दर और तिर्यचके शरीर संबंधी । अवयव अथवा रुधिर ६० हाथके अन्दरभी जिस जगह पडे हों उसके और उपासरेके बीचमें आमेसामे दोनों गाडियां एक साथ निकल सकें वैसा मोटा मार्ग पडता हो तो असज्झाय नहीं होता, किसीके पुत्र या पुत्रिका | जन्म होवे अथवा तिर्यंच व्यावे तो उममेंभी इसी तरह समझना । | ११-मनुष्यके चाहे तिर्यचके शरीरका अवयव अथवा रुधिर जिस जगह पडे वह जगह यदि वर्षादके पानीसे धोवा जाय अथवा अग्निसे जल जाय तो असम्झाय नहीं होता।
१२-कोई मांसाहारी जानवर खायेहुये मांसादिको वमन करके पीछा निकाल देवे तो उसका तथा रंधाये हुए मांसादिका असज्झाय नहीं होता।
१३-मांसादिक खाया हुआ कोई जानवर उपासरेके पासमें यदि खडा रहे तो उसके मुखपर या अन्य
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