Book Title: Arhat Dharm Prakash
Author(s): Kirtivijay Gani, Gyanchandra
Publisher: Aatmkamal Labdhisuri Jain Gyanmandir

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Page 16
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir *Clerkle * Clexistercle * Cle*ster Sle*se* *OCIOX* * Alert.kor** * Kn) होता है। मरते समय स्मरण करने पर सद्गति प्राप्त होती है। () इसके माहात्म्य का जितना वर्णन किया जाये थोड़ा है। नवकार- (D * मंत्र के एक-एक अक्षर के जाप से भी असंख्य वर्षों के घोर कर्मों * का नाश होता है । मन, वचन और काया से एकाग्रतापूर्वक इस मंत्र का खूब जाप करो, इसके जाप में लवलीन बनो, तन्मय बनो । निरंतर इसी की रट करो। चलते-फिरते, सोते-बैठते इसी ड का स्मरण करो । फलकी आकांक्षा न रखो.. अात्मिक गुणों की पराकाष्ठा पर पहुँचे हुए सर्वोत्कृष्ट सिद्ध तथा साधक गुणी पुरुषों की इसमें स्तुति है, जिसमें गुण मात्र की पूजा ही समायी हुई है, जो व्यक्तित्त्व-पूजन की संकीर्णता से दूर ए है तथा महासागर के समान विशाल है। आत्मा के उत्तरोत्तर * विकास करने के संसार में जो ऊँचे पद हैं-उन पदों का ही Ko इसमें प्रतिपादन है। इससे यह महामन्त्र सबके लिए समान रूप से श्रेयस्कर और कल्याणकारी है। * to@ter*Clerter* ter* * * For Private And Personal Use Only

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