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किसी का बुरा मत करो। गुणी आत्मा को देखकर प्रसन्न होओ, दुःखी को देखकर उसका दुःख दूर करने की भावना रखो। नीच, अधर्मी या पापी आत्मा के प्रति तिरस्कार वृत्ति न रखकर माध्यस्थ भाव रखो। यदि वह समझ सकता हो तो उसे समझाओ, नहीं तो उपेक्षावृत्ति रखो । सब प्राणियों के प्रति मैत्रीभाव रखो, दुनिया के सब प्राणी हमारे मित्र के समान हैं; इसलिए किसी को मत मारो, किसी का हनन मत करो, किसी को दुःख मत दो और किसी को हैरान या परेशान मत करो। यदि हम दूसरों को दुःख देंगे तो उसके कडुए फल हमें जन्म जन्मांतर में भोगने होंगे और अनेक बार मृत्यु-कष्ट भोगना होगा । इसलिए, सुख की इच्छा रखनेवाले प्राणी को सबको सुखी करना चाहिए। सबको सुखी करने की भावना से हमारी आत्मा पूर्ण सुखी बन सकती है। ___ हमारे पास कम वस्तु हो तो भी उसमें से कम-से-कम कुछ देना सीखो, दान-धर्म को मत भूलो, दीन-दुखियों का उद्धार करो। यदि इन सब गुणों को जीवन में उतारा जाये तो इस अमूल्य मानव-देह को धारण करने की कुछ सार्थकता होगी । दुबारा इस मानव देह की प्राप्ति अत्यंत दुर्लभ है । ऐसे देव-दुर्लभ जीवन को प्राप्त कर, आत्मा को पहचानकर जीवन को आदर्श बनाओ।
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