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( ६३ ) बहुत-से लोग उसे देखने आते हैं और कितने ही श्रद्धालु लोग तो उसके समक्ष पगड़ी और टोपी उतार कर हाथ जोड़ कर उसका दर्शन करते हैं। ___ यहाँ वह अपने पूर्व जन्म की बहन से मिलने आयी है। उसने अपनी बहन से बचपन की कितनी ही बातें कही।
-जनसत्ता १२ जनवरी १९६१
एक बार मुझे रत्नागिरि जिले के एक छोटे-से गाँव में जाने का अवसर मिला । वहाँ जहाँ मैं रुका था, उसके पड़ोस में ही सदाशिव-नामक एक ब्राह्मण रहता था । सदाशिव को एक आठ वर्षीया पुत्री थी। उसका नाम रम्भा था। एक दिन उस घर में शोर सुनकर जो मैं वहाँ गया, तो पता चला कि, रम्भा मद्रास जाने के लिए जिद कर रही है और कई दिनों से उसने खाना खाना भी बंद कर रखा है। वह कह रही थी कि पूर्व भव में वेंकटराव नामक उसे एक पुत्र था और वह उससे मिलना चाहती है। मेरे प्रस्ताव पर सदाशिव मद्रास जाने को राजी हो गया और दूसरे दिन हम तीनों मद्रास चल पड़े। ___ मद्रास पहुँच कर हम लोगों ने एक ताँगा किया और रम्भा के बताये रास्ते से चल कर एक बँगले पर पहुंचे। उस समय वेंकटराव समाचार पत्र पढ़ रहे थे । रम्भा ने वेंकटराव से इस रूप में व्यवहार किया और घर की अनेक ऐसी बातें बतायीं कि, वेंकटराव को भी आश्चर्य हुआ और उन्हें भी उसे अपनी माता होना स्वीकार करना पड़ा।
-'किस्मत' सितम्बर १९५७
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